रुड़की। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की और विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) में लैंगिक समानता बढ़ाने के उद्देश्य से विज्ञान ज्योति योजना के लिए सहयोग करार किया है। आइआइटी रुड़की परिसर में इस योजना का शुभारंभ किया गया।
आइआइटी रुड़की के बायोटेक्नोलॉजी विभाग के सभागार में गुरुवार को विज्ञान ज्योति योजना को लांच किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (सेमकॉल) के संस्थापक सोनम वांगचुक उपस्थित रहे। इस मौके पर उन्होंने कहा कि इस बात की खुशी है कि सरकार की ओर से बालिकाओं को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए विज्ञान ज्योति स्कीम की शुरुआत की गई है। कहा कि विज्ञान और तकनीक के लिए जिज्ञासा का होना बेहद जरूरी है। इसके अलावा किसी भी चीज को बारीकी से देखने की क्षमता और उसका इस्तेमाल करना आना भी महत्वपूर्ण है।
वांगचुक ने कहा कि हर मां वैज्ञानिक होती है और उसकी रसोई प्रयोगशाला के समान होती है। बाल्यकाल में बच्चों को मां से विज्ञान से जुड़ी कई सारी बातें सीखने का मौका मिलता है। उनका मानना है कि पुरुषों की तुलना में महिलाएं विज्ञान एवं तकनीक का अधिक अच्छा इस्तेमाल कर सकती हैं।