संभल में जामा मस्जिद के सर्वे पर विवाद, ओवैसी भड़के, मदनी बोले- ‘गड़े मुर्दे उखाड़ने से…’
संभल में स्थित जामा मस्जिद के सर्वे पर विवाद शुरू हो गया है। AIMIM पार्टी के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि कोर्ट को इस तरह के मामले को शुरुआत में ही खत्म कर देना
यूपी के संभल में जामा मस्ज़िद के सर्वे का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। मस्ज़िद का सर्वे होने के बाद जमीयत उलेमा-ए-हिंद और AIMIM ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। ओवैसी ने कहा है कि जिस तरह से कोर्ट ने इस मामले में स्पीड दिखाई है उस तरह से प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट एक मरा हुआ अक्षर बनकर रह जाएगा। ओवैसी ने लिखा है कि कोर्ट को इस तरह के मामले को शुरुआत में ही खत्म कर देना चाहिए। वहीं जमीयत ने भी सर्वे पर चिंता जताई है।इस पूरे मामले पर जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने कहा कि इतिहास के झूठ और सच को मिलाकर सांप्रदायिक तत्व देश की शांति और व्यवस्था के दुश्मन बने हुए हैं और इस तरह से पुराने गड़े मुर्दे उखाड़ने से देश की धर्मनिरपेक्ष बुनियादें हिल रही हैं। इसके साथ ही ऐतिहासिक संदर्भों को दोबारा वर्णित करने की कोशिशें राष्ट्रीय अखंडता के लिए किसी भी तरह से अनुकूल नहीं हैं।
AIMIM पार्टी के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बाबरी मस्जिद फैसले ने हिंदू संगठनों को पूरे भारत में मुस्लिम पूजा स्थलों को निशाना बनाने के लिए प्रोत्साहित किया है। यूपी के संभल के चंदौसी स्थित शाही जामा मस्जिद का मामला देखिए, आवेदन जमा होने के तीन घंटे के भीतर, सिविल जज ने मस्जिद स्थल पर प्रारंभिक सर्वेक्षण का आदेश दिया ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या मस्जिद बनाने के लिए किसी मंदिर को ध्वस्त किया गया था। आवेदन एक वकील द्वारा किया गया था जो सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार का स्थायी वकील है। सर्वेक्षण उसी दिन किया गया था। इस तरह कोर्ट के आदेश के एक घंटे के अंदर ही बाबरी का ताला भी खोल दिया गया, बिना दूसरे पक्ष को सुने। यह “गति” सामान्य मामलों में नहीं दिखाई जाती है। अगर अदालतें ऐसे आदेशों का पालन करना जारी रखती हैं, तो पूजा स्थल अधिनियम महज एक मृत-अक्षर बनकर रह जाएगा। इस अधिनियम का उद्देश्य ऐसे मुकदमे को अदालतों तक पहुँचने से रोकना था। एक मस्जिद जिसका उपयोग सैकड़ों वर्षों से इसी रूप में किया जा रहा है, उसे सांप्रदायिक मुकदमे का विषय बनाया जा रहा है। अदालतों को इसे शुरुआत में ही ख़त्म करना चाहिए।
हिंदू पक्ष ने जामा मस्जिद के श्रीहरिहर मंदिर होने का दावा किया है। इस मामले को लेकर हिंदू पक्ष कोर्ट पहुंचा था। कोर्ट ने पूरे परिसर का सर्वे कराने का आदेश दिया। कोर्ट ने 29 नवंबर तक इसकी रिपोर्ट मांगी है। मंगलवार देर शाम टीम ने पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में मस्जिद के अंदर सर्वे किया। पूरे परिसर की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी की गई। इस दौरान स्थिति काफी तनावपूर्ण दिखाई दी। सर्वे की जानकारी होते ही मुस्लिम पक्ष में नाराजगी फैल गई। लोग मस्जिद के इर्द-गिर्द और छतों पर जमा हो गए। प्रशासन ने वादी महंत ऋषिराज को मस्जिद के पास से हटा दिया। इस दौरान पूरा इलाका छानी बना रहा।
महंत ऋषिराज गिरि दावा है कि 1529 में मुगल बादशाह बाबर ने हरिहर मंदिर को तोड़कर जामा मस्जिद बनवाई थी। इसलिए, अब हिंदुओं को मस्जिद कैंपस में पूजा-पाठ करने की इजाजत मिले। हिंदू पक्ष की मान्यता है कि इसी स्थान पर भगवान के दशम अवतार भगवान कल्कि का अवतार होना है।