एजेंसी न्यूज
लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश पर उत्तर प्रदेश में खनन घोटाला की जांच कर रही सीबीआइ की टीमों ने शनिवार को देश में 12 जगह पर छानबीन की। इसी कड़ी में हमीरपुर की जिलाधिकारी रहीं तेज तर्रार तथा सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय रहने वाली आइएएस अधिकारी बी. चंद्रकला के आवास पर छानबीन की गई। कार्रवाई कर बाहर निकले सीबीआई अधिकारियों ने इस संबंध में मीडिया से कोई बात नहीं की।
लखनऊ में सीबीआइ की एक टीम ने उनके आवास पर करीब ढाई घंटा तक पड़ताल की। उस समय बी.चंद्रकला अपने आवास में नहीं थीं। बंद पड़े आवास की सीबीआइ ने करीब 10ः30 बजे से छानबीन की। इसके बाद एक बजे जब टीम बाहर निकली तो उसके पास काफी कागज थे। बी. चंद्रकला इसी वर्ष मई में अपने मूल कॉडर यानी उत्तर प्रदेश लौटी हैं। उनका लखनऊ में योजना भवन के पास सफायर अपार्टमेंट में आवास है। 2008 बैच की आइएएस अफसर बी चंद्रकला लखनऊ में हैवलॉक रोड पर सफायर अपार्टमेंट के फ्लैट नम्बर 101 में रहती हैं। सीबीआइ की टीम ने इसी आवास पर छापा मारा।
हमीरपुर में हुए अवैध खनन के मामले में सीबीआई ने तत्कालीन डीएम बी. चन्द्रकला के लखनऊ आवास पर छापा मारा। टीम ने घर कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए हैं। अखिलेश यादव की सरकार में बी. चन्द्रकला की पोस्टिंग हमीरपुर जिलाधिकारी के पद पर की गई थी। आरोप है कि इस आईएएस ने जुलाई 2012 के बाद हमीरपुर जिले में 50 मौरंग के खनन के पट्टे किए थे। ई-टेंडर के जरिए मौरंग के पट्टों पर स्वीकृति देने का प्रावधान था लेकिन बी. चन्द्रकला ने सारे प्रावधानों की अनदेखी की थी। माना जा रहा है कि करोड़ों के खनन घोटाले के सिलसिले में सीबीआई ने छापा मारा। बी. चंद्रकला बेहद तेज तर्रार छवि की अधिकारी मानी जाती है। वह सोशल मीडिया पर भी काफी सक्रिय रहती है। बीते दिसंबर में उन्होंने लखनऊ मेट्रो के सफर के दौरान अपनी सेल्फी सोशल मीडिया पर डाली थी, जो कि काफी चर्चित रही थी।
चंद्रकला हमीरपुर और बुलंदशहर की डीएम रह चुकी हैं और उन पर डीएम रहते हुए अवैध खनन कराने का आरोप है। यह अवध खनन घोटाला अखिलेश यादव की सरकार के दौरान हुआ था। इस छापेमारी से अखिलेश यादव की भी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। अदालत ने इस मामले की जांच के आदेश दिए थे।
सीबीआई ने इस छापेमारी के दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज अपने कब्जे में ले लिए हैं। चंद्रकला पर आरोप है जब उनकी पोस्टिंग हमीरपुर जिले के जिलाधिकारी (डीएम) के रूप में की गई थी तो उस दौरान उन्होंने मौरंग के 50 खनन पट्टे आवंटित किए थे, जबकि इसके लिए पहले टेंडर देने का नियम था।
इन अवैध खनन पट्टों को लेकर स्थानीय लोगों ने बड़ा प्रदर्शन भी किया था। 2015 में इसे लेकर हाइकोर्ट में एक याचिका भी दायर हुई थी जिसके बाद कोर्ट ने हमीरपुर में जारी किए गए सभी पट्टे अवैध घोषित करते हुए रद कर दिए थे।