मु0 रिज़वान
मुरादाबाद। दिसम्बर के अन्त तक शहर की सड़कों को गड्ढा मुक्त करने के दावे अधिकारी कर रहे थे मगर साल खत्म हो गया और सड़कों के गड्ढे बरकरार है। बल्कि सीवर लाईन खुदाई के चलते और नये-नये गड्ढे पैदा होते जा रहे है। कुल मिलाकर स्मार्ट सिटी की सड़कें किसी गांव से भी बदतर हो गयी है। महापौर, नगर आयुक्त व वार्डों के पार्षद सब इससे अनजान बने हुए है। पार्षदों को भी कुछ होश नहीं कि उनके इलाकों की सड़को की क्या दुर्दशा है। सब अपनी-अपनी मस्ती में मस्त है। परेशान हो रही है तो सिर्फ जनता।
कहने को तो शहर को स्मार्ट सिटी बनाने की बातें की जा रहीं है मगर शहर की खस्ताहाल सड़के स्मार्ट सिटी की बातों को मुंह चिढ़ा रहीं है। नेशनल हाईवे हो या शहर के अंदरूनी इलाके। हर जगह सड़कों में बेतहाशा गड्ढे है। आए दिन इन गड्ढांे में वाहन चालक गिरकर जख्मी होते रहते है परन्तु नगर निगम के जिम्मेदार अफसरों से लेकर वार्डों के पार्षदों तक सब अपनी जिम्मेदारियों से मुंह फेरे हुए है। चुनाव में पार्षदों को जिताकर नगर निगम पहुंचाने वाले मतदाता अब अपने आपको ठगा सा महसूस कर रहे है। अधिकतर पार्षद निर्माण कार्यों में मलाई काटने में लगे है। क्षेत्र की दुर्दशा से उन्हें कोई मतलब नहीं। अगर पिछले 6 महीने में महानगर में विभिन्न वार्डों में हुए निर्माण कार्यों का सर्वे कराया जाये तो सारी कलई खुल जायेगी कि किस तरह कुछ पार्षदो ने निर्माण कार्य के नाम पर क्या गोरखधंधा किया है। गली मुहल्लों की सड़कें बनने के दो महीने बाद ही उधड़ना शुरू हो गयी है। पानी की पाईप लाईन मानको को ताक पर रखकर ऊपर ही ऊपर डाल दी गई है और भी तमाम तरह की गड़बड़ियां है। कुल मिलाकर चुनाव के समय जो विकास के वायदे किये थे वह सब हवा हवाई साबित हुए। अनेको वार्डों में गंदगी के ढेर लगे है, नाले नालियां चैक है, नियमित सफाई नहीं हो रही।