कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले धन की कमी का जिक्र किया

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फंड की कमी का रोना रो रही थी कांग्रेस, फिर भी चुनाव प्रचार में लुटाए इतने सौ करोड़, हवाई यात्रा पर ही 105 करोड़ खर्च
कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले धन की कमी का जिक्र किया था क्योंकि पिछले वर्षों के आयकर रिटर्न के विवादों को लेकर आयकर विभाग ने पार्टी के कुछ बैंक खातों पर रोक लगा दी थी। लेकिन कांग्रेस ने लोकसभा और चार राज्यों के विधानसभा चुनाव में दिल खोलकर खर्च किया है।
लोकसभा चुनाव से पहले नकदी संकट का दावा करने वाली कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग को बताया है कि उसने संसदीय चुनाव और उसके साथ हुए राज्य विधानसभा चुनावों में करीब 585 करोड़ रुपये खर्च किये। आम चुनाव और आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम के विधानसभा चुनावों के लिए अपने चुनाव व्यय रिपोर्ट में कांग्रेस ने कहा कि उसने विज्ञापनों और मीडिया में प्रचार अभियान पर 410 करोड़ रुपये तथा सोशल मीडिया, ऐप और अन्य माध्यमों से डिजिटल प्रचार अभियानों पर लगभग 46 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।स्टार प्रचारकों की हवाई यात्राओं पर 105 करोड़ खर्च
कांग्रेस ने कहा कि उसने लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान अपने स्टार प्रचारकों की हवाई यात्राओं पर लगभग 105 करोड़ रुपये खर्च किए, जिनमें पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे, पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और अन्य नेता शामिल थे।
पार्टी ने इस साल लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी और पार्टी के कुछ अन्य उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने के लिए 11.20 करोड़ रुपये का एकमुश्त भुगतान भी किया।
लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान पोस्टर, बैनर, होर्डिंग और अन्य प्रचार सामग्री की छपाई पर कुल 68.62 करोड़ रुपये खर्च किए।
लोकसभा चुनाव की घोषणा के समय कांग्रेस के पास विभिन्न जमा राशि के रूप में कुल 170 करोड़ रुपये थे।
पार्टी को 13.76 करोड़ रुपये नकदी जमा समेत विभिन्न रूपों में सकल प्राप्तियों के रूप में 539.37 करोड़ रुपये प्राप्त हुए।
सीज हुए थे कांग्रेस के बैंक खाते
मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले धन की कमी का जिक्र किया था क्योंकि पिछले वर्षों के आयकर रिटर्न के विवादों को लेकर आयकर विभाग ने पार्टी के कुछ बैंक खातों पर रोक लगा दी थी। हालांकि, मामला अदालत में पहुंचने के बाद खातों पर से रोक हटा दी गई। कांग्रेस ने आम चुनाव में 543 लोकसभा सीटों में से 99 सीटें जीतीं और मुख्य विपक्षी पार्टी के रूप में उभरी। भाजपा लगातार तीसरी बार सत्ता में लौटी।