कुल्लू. अब रक्षा मंत्रालय लाहौल-स्पीति जिले की स्पीति घाटी के क्याटो गांव से लेह को सीधे डबललेन मार्ग से जोड़ने जा रहा है। इस सामरिक मार्ग के निर्माण के लिए सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) पिछले लंबे समय से काम कर रहा है।
स्पीति के क्याटो से लेह तक बनेगा डबललेन मार्ग।
चीन और पाकिस्तान से सटी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सड़क नेटवर्क मजबूत करने की कवायद तेज हो गई है। अब रक्षा मंत्रालय लाहौल-स्पीति जिले की स्पीति घाटी के क्याटो गांव से लेह को सीधे डबललेन मार्ग से जोड़ने जा रहा है। इस सामरिक मार्ग के निर्माण के लिए सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) पिछले लंबे समय से काम कर रहा है। बीआरओ ने ग्राउंड लेवल पर सर्वेक्षण पूरा कर अब इसकी डीपीआर मंजूरी के लिए रक्षा मंत्रालय को भेज दी है। इस मार्ग की खास बात यह है कि यह ज्यादातर मैदानी और सामान्य पहाड़ी क्षेत्रों से होकर गुजरेगा। भारी बर्फबारी के बावजूद यह मार्ग साल में 10 माह खुला रहेगा। सेना, पर्यटकों और आम लोगों को मात्र एक तातिला दर्रा ही पार करना पड़ेगा। चीन सीमा तक आसानी पहुंच बन सकेगी।
बीआरओ करीब 125 किलोमीटर नई सड़क का निर्माण कर इसे लद्दाख के कोरजोक स्थित त्सो मोरीरी झील तक निकालेगा। कोरजोक से लेह तक लगभग 211 किलोमीटर सड़क का डबललेन का काम भी चला हुआ है। राहत की बात है कि क्याटो से निकलने वाले सामरिक मार्ग के बीच मनाली-लेह मार्ग की तरह मुश्किल दर्रे नहीं होंगे। बताया जा रहा है कि क्याटो से आगे कुछ किलोमीटर रास्ता ही पहाड़ी व पथरीला है। बाकी पूरा इलाका मैदानी व समतल होने से इस मार्ग का निर्माण जल्द पूरा होगा।
क्याटो गांव के पूर्व प्रधान टशी रिगजिन और 2011 में बीआरओ के अधिकारियों के साथ क्याटो से कोरजोक तक सर्वे के लिए पैदल गए तेनजिन ने कहा कि यह सामरिक मार्ग लेह को जोड़ेगा और सेना को चीन सीमा तक जाने में आसानी होगा। तेनजिन ने कहा कि क्याटो गांव के आगे तालिला दर्रा आता है और इसके पार पूरा मैदानी इलाका है, जो लद्दाख के कारजोक को जोड़ता है। उन्हें क्याटो से कोरजोक तक पैदल पहुंचने में छह दिन लगे थे। जनजातीय मामले मंत्री डॉ. रामलाल मारकंडा ने बताया कि स्पीति की लोसर पंचायत के क्याटो गांव से लेह के लिए निकलने वाले डबललेन मार्ग से भारतीय सेना की चीन सीमा तक पहुंच आसान होगी। संवाद
क्याटो-लेह मार्ग पर कोई ग्लेशियर नहीं
क्याटो से लेह तक प्रस्तावित मार्ग के बीच कोई ग्लेशियर नहीं है। इस मार्ग पर मात्र एक दर्रा पार करना पड़ेगा। यह मार्ग साल में दो माह ही बंद रहेगा। इस क्षेत्र में सर्दी के मौसम में मात्र दो से चार फीट तक ही बर्फ पड़ती है। वहीं मनाली-लेह रूट होकर रोहतांग, बारालाचा, तंगलंगला समेत करीब आधा दर्जन दर्रे पार करने पड़ते हैं। सर्दी के सीजन में 20 फीट बर्फ होने से मनाली-लेह मार्ग साल में छह से सात माह तक यातायात के लिए बंद रहता है।