वर्ष की अति महत्वपूर्ण तिथियों में अपना परम पुण्य दायक महत्त्व स्थापित करने वाले मौनी अमावस्या में स्नान, दान और पूजा आदि का विशेष महत्व होता है। हर साल माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को परम पुण्यदायक मौनी अमावस्या का यह महत्वपूर्ण पर्व स्नान पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है।
इस वर्ष यह पवित्र स्नान पर्व माघ कृष्ण पक्ष अमावस्या 1 फरवरी मंगलवार को होगा। वैसे तो अमावस्या तिथि का आरंभ 31 जनवरी 2022 दिन सोमवार को दोपहर 1 बजकर 15 मिनट से ही आरम्भ हो जाएगा। जिससे श्राद्ध के लिए अमावस्या 31को ही प्राप्त हो रही है। परंतु उदय कालिक महत्त्व के कारण स्नान दान एवं मौनी अमावस्या का पर्व1 फरवरी दिन मंगलवार को होगा। मंगलवार के दिन अमावस्या पड़ने के कारण इसे भौमवती अमावस्या भी कहा जा सकता है। भौमवती अमावस्या का मणि-कांचन योग गंगा स्नान के महत्त्व को कई गुना बढ़ाने वाला होगा।इस दिन प्रयागराज के पावन संगम अर्थात त्रिवेणी एवं काशी के चंद्रावती बलुआ के पश्चिम वाहिनी गंगा में मौन रहकर स्नान, दान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
मौनी अमावस्या का महत्त्व :-
इस तिथि पर चुप रहकर अर्थात मौन धारण करके मुनियों के समान आचरण करते हुए स्नान करने के विशेष महत्व के कारण ही माघ मास के कृष्णपक्ष की अमावस्या तिथि मौनी अमावस्या कहलाती है। माघ मास में गोचर करते हुए भुवन भास्कर भगवान सूर्य जब चंद्रमा के साथ मकर राशि पर आसीन होते हैं तो ज्योतिष शास्त्र में उस काल को मौनी अमावस्या कहा जाता हैं।
इस वर्ष मकर राशि मे बन रहा है चतुष्ग्रही योग। बन रहा है दो बाप बेटों के अद्भुत एवं सुंदर संयोग। वैसे तो जब सूर्य और चंद्रमा का एक साथ गोचरीय संचरण शनि देव की राशि मकर में होता है तब उस महत्त्वपूर्ण पूण्य तिथि को मौनी अमावस्या कहा जाता है। इस वर्ष जहाँ सूर्य पुत्र शनि देव स्वगृही होकर मकर राशि मे गोचर कर रहे है , वही चंद्रमा भी अपने पुत्र बुध के साथ बुधादित्य योग का निर्माण करके मकर राशि में गोचर करते हुए इस दिन की शुभता को बढ़ाने वाले है।