उत्तर प्रदेश में पश्चिम से शुरू होकर पूरब में खत्म होगा मतदान, जानें कौन सा चरण क्या चुनौती और क्या उम्मीदें लाएगा?

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नई दिल्ली

पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों का एलान हो गया है। उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा सात चरण में वोट डाले जाएंगे। 21 जनवरी को मतदान प्रक्रिया शुरू होगी। 10 मार्च को नतीजे आएंगे। 2017 में भी राज्य में सात चरण में वोट डाले गए थे। आइये समझते हैं कौन सा चरण किस पार्टी के लिए अहम होगा।

शुरुआती दो चरण: पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आगाज
उत्तर प्रदेश में 2017 की तरह इस बार भी 7 चरण में मतदान होगा। पहले और दूसरे चरण में 113 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। इनमें पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 76 सीटें शामिल हैं। इनमें से 66 सीटें 2017 में भाजपा ने जीती थीं। इस इलाके में किसान आंदोलन का सबसे ज्यादा असर रहा था। ऐसे में पहले दो चरण भाजपा के लिए सबसे मुश्किलभरे साबित हो सकते हैं। वहीं, सपा और रालोद गठबंधन के लिए यहां बेहतर प्रदर्शन का दबाव होगा। इस इलाके कई सीटें मुस्लिम बहुल भी हैं, जहां असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी भी मैदान में होगी। ओवैसी अगर सपा-रालोद गठबंधन के वोट काटते हैं तो भाजपा को फायदा हो सकता है।

तीसरा चरण: अखिलेश के लिए गढ़ बचाने की चुनौती
इटावा, मैनपुरी और कनौज जैसे जिलों में 23 फरवरी को वोट डाले जाएंगे। ये सपा प्रमुख अखिलेश यादव का गृह क्षेत्र है। अखिलेश के लिए 2017 के निराशाजनक प्रदर्शन को बेहतर करने का दबाव होगा। देखना होगा कि क्या अखिलेश और शिवपाल यादव के साथ आने के बाद पार्टी बेहतर प्रदर्शन कर पाती है? इसी चरण में बुंदेलखंड के जालौन, हमीरपुर, महोबा, झांसी, ललितपुर आदि जिलों में भी वोट डाले जाएंगे। बुंदेलखंड की सभी सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी। पार्टी को इस बार भी यहां बेहतर करने की उम्मीद है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह भी इसी इलाके से आते हैं।

चौथा चरण: यहां भाजपा पहले से मजबूत
चौथे चरण में लखनऊ, उन्नाव जैसे जिलों में मतदान होगा, जहां भाजपा कई चुनावों से मजबूत है। इसी चरण में अमेठी, रायबरेली जैसे जिलों में भी वोट डाले जाएंगे। कभी कांग्रेस के गढ़ रहे इन इलाकों में 2017 में भाजपा काबिज हो गई थी। इस बार कांग्रेस यहां अपनी खोई जमीन तलाशेगी, वहीं सपा भी 2012 का प्रदर्शन दोहराने की कोशिश करेगी। किसानों पर कार चढ़ाने के मामले की वजह से चर्चा में रहा लखीमपुर खीरी भी इसी चरण में अपने मताधिकार का प्रयोग करेगा।

पांचवां चरण: अयोध्या, प्रयागराज, चित्रकूट में मतदान
अयोध्या, प्रयागराज और चित्रकूट जैसे धार्मिक जिलों में पांचवें चरण में मतदान होगा। राम मंदिर, 2019 के भव्य कुंभ जैसे मामलों के जरिए भाजपा यहां 2017 जैसा प्रदर्शन दोहराने की उम्मीद करेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अयोध्या से चुनाव लड़ने की अटकलें लग रही हैं। योगी अगर यहां से चुनाव लड़ते हैं तो भाजपा इससे और बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद करेगी।

छठा और सातवां चरण: पूर्वांचल में चुनाव
पूर्वांचल के जिलों में छठवें और सातवें चरण में वोट डाले जाएंगे। छठवें चरण में गोरखपुर, देवरिया, बलिया जैसे जिलों में वोटिंग होगी। योगी आदित्यनाथ को इन जिलों में बेहतर प्रर्दशन का इनाम 2017 में मिला था। सातवें चरण में बनारस, मिर्जापुर, जौनपुर, आजमगढ़, गाजीपुर जैसे इलाकों में मतदान होगा। 2017 से पहले इन इलाकों में समाजवादी पार्टी काफी मजबूत थी। 2017 में भाजपा गठबंधन को यहां बड़ी कामयाबी मिली थी। भाजपा के साथ रहे ओमप्रकाश राजभर इस बार सपा के साथ हैं। ऐसे में सपा को अपनी खोई जमीन वापस मिलने की उम्मीद होगी। वहीं, भाजपा को उम्मीद होगी कि प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र और आसपास हुए काम के फायदा मिलेगा।

किस चरण में किस जिले में चुनाव
पहले चरण में 11 जिलों शामली, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, हापुड़, नोएडा, बुलंदशहर, अलीगढ़, मथुरा और आगरा में चुनाव होगा।
दूसरे चरण में नौ जिलों सहारनपुर, बदायूं, बिजनौर, अमरोहा, संभल, रामपुर, मुरादाबाद, शाहजहांपुर और बरेली में वोट डाले जाएंगे।
तीसरे चरण में 16 जिलों कासगंज, एटा, हाथरस, मैनपुरी, फिरोजाबाद, फर्रुखाबाद, कन्नौज, कानपुर नगर, कानपुर देहात, औरैया, जालौन, हमीरपुर, महोबा, झांसी, ललितपुर और इटावा मतदान होगा।
चौथे चरण में नौ जिलों पीलीभीत, लखमीपुर खीरी, हरदोई, सीतापुर, उन्नाव, लखनऊ, रायबरेली, बांदा और फतेहपुर में वोट पड़ेंगे।
पांचवें चरण में 11 जिलों बहराइच, श्रावस्ती, बाराबंकी, गोंडा, अमेठी, कौशांबी, प्रयागराज, चित्रकूट, अयोध्या, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़ में वोट डाले जाएंगे।
छठे चरण में 10 जिलों बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, महाराजगंज, संतकबीर नगर, बस्ती, अंबेडकरनगर, देवरिया, बलिया, गोरखपुर और कुशीनगर में वोट डाले जाएंगे।
सातवें चरण में नौ जिलों आजमगढ़, वाराणसी, मऊ, गाजीपुर, मिर्जापुर, चंदौली, सोनभद्र, भदोही और जौनपुर में वोटिंग होगी।

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