पंजाब में 14 फरवरी को डाले जाएंगे वोट, 117 सीटों पर एक ही चरण में मतदान

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नई दिल्ली.चुनाव आयोग ने पंजाब विधानसभा चुनाव की तिथि का एलान कर दिया है। यहां एक चरण में 14 फरवरी को मतदान होंगे। वोटों की गिनती 10 मार्च को होगी। आयोग ने बताया कि कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए कई तरह के एहतियात बरते जाएंगे। पिछली बार यहां चार फरवरी 2017 को मतदान हुआ था और 11 मार्च 2017 को नतीजे आ गए थे।

पंजाब चुनाव का शेड्यूल
अधिसूचना- 21 जनवरी
नामांकन की आखिरी तारीख- 28 जनवरी
नामांकन की जांच- 29 जनवरी
नाम वापसी- 31 जनवरी
मतदान- 14 फरवरी

इस बार बदले होंगे कई राजनीतिक समीकरण
2017 के मुकाबले इस बार के चुनाव में पंजाब में बहुत कुछ बदला होगा। तब सत्ता में भाजपा-अकाली का गठबंधन था। अब ये दोनों अलग-अलग गठबंधन में हैं। भाजपा ने कैप्टन अमरिंदर की नई पार्टी के साथ गठबंधन किया है। वहीं, अकाली दल बसपा के साथ है। 2017 में कैप्टन कांग्रेस का चेहरा थे। इस बार वे कांग्रेस के खिलाफ हैं। तब सिद्धू नए-नए कांग्रेस में आए थे, इस बार सिद्धू कांग्रेस का सबसे बड़ा चेहरा हैं। तब चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी के कई बड़े चेहरे चुनाव से पहले और बाद में अलग हो गए थे। इस बार आम आदमी पार्टी चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव में जीत से उत्साहित है।

2017 में भाजपा से कांग्रेस में आए सिद्धू
पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस में शामिल हुए थे। 15 जनवरी 2017 को राहुल गांधी ने उन्हें कांग्रेस में शामिल कराया था। 5 साल बाद वे कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरे बनकर उभरे हैं। सिद्धू की वजह से ही कैप्टन अमरिंदर सिंह को न सिर्फ मुख्यमंत्री पद से हटना पड़ा, बल्कि उन्होंने कांग्रेस छोड़कर नई पार्टी बना ली।
मुख्यमंत्री पद के चेहरे
पंजाब विधानसभा चुनाव 2022
पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 – फोटो : अमर उजाला
चरणजीत सिंह चन्नी: मौजूदा मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में शामिल हैं। पार्टी उन्हें आगे भी मुख्यमंत्री बनाए रखने की बात कर रही है। हालांकि, नवजोत सिद्धू लगातार खुद को अगले चुनाव में मुख्यमंत्री का चेहरा बनाए जाने के लिए दबाव डाल रहे हैं।
सुखबीर बादल: अकाली दल की ओर से सुखबीर बादल मुख्यमंत्री पद का चेहरा होंगे। 2012 से 2017 तक वो राज्य के उप-मुख्यमंत्री रह चुके हैं। पिता प्रकाश सिंह बादल की उम्र के चलते अब वो ही पार्टी का चेहरा हैं।
कैप्टन अमरिंदर सिंह: नई पार्टी बनाकर कैप्टन ने भाजपा के साथ समझौता करने का एलान किया है। दोनों पार्टियों ने अब तक सीट बंटवारे पर फैसला नहीं लिया है। सीट बंटवारे के साथ ही कैप्टन को गठबंधन का चेहरा भी बनाया जा सकता है।

चुनाव प्रचार के चेहरे
1. नरेंद्र मोदी: 2014 के बाद चुनाव कहीं भी हों, भाजपा के लिए चेहरा प्रधानमंत्री मोदी ही होते हैं। पंजाब के चुनाव में भी मोदी ही प्रचार का सबसे अहम चेहरा होंगे। बीते बुधवार को प्रधानमंत्री की रैली के जरिए ही भाजपा इस प्रचार को बल देने वाली थी। हालांकि, रैली पहुंचने से पहले प्रधानमंत्री की सुरक्षा में हुई चूक की वजह से रैली रद्द हो गई।
2. अरविंद केजरीवाल: चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव में मिली जीत के बाद आम आदमी पार्टी के हौसले बुलंद हैं। पार्टी प्रधान अरविंद केजरीवाल लगातार पंजाब के दौरे कर रहे हैं। पार्टी ने मुख्यमंत्री का कोई चेहरा घोषित नहीं किया है। पार्टी पूरा चुनाव केजरीवाल के चेहरे और दिल्ली सरकार के काम पर लड़ रही है।
3. नवजोत सिद्धू: पिछले पांच साल में सिद्धू पंजाब कांग्रेस का सबसे बड़ा चेहरा बनकर उभरे हैं। इस चुनाव में कांग्रेस के लिए प्रचार का बड़ा चेहरा भी वही होंगे।
4. सुखबीर बादल: अकाली दल और बसपा गठबंधन के चुनाव प्रचार का चेहरा सुखबीर बादल होंगे। उनके साथ ही हरसिमरत कौर बादल, विक्रमजीत सिंह मजीठिया के कंधों पर भी प्रचार की जिम्मेदारी होगी। मायावती भी गठबंधन के लिए वोट मांगने पंजाब आ सकती हैं।

चुनाव के बड़े मुद्दे

1. कृषि कानून और किसान: तीनों नए कृषि कानून वापस होने के बाद भी ये चुनाव का मुद्दा होगा। इन कानूनों का सबसे ज्यादा विरोध पंजाब में ही हुआ। इन कानूनों की वजह से अकाली दल ने भाजपा से अपना दशकों पुराना गठबंधन तोड़ दिया। किसानों के विरोध के कारण ही सरकार को इन्हें वापस लेना पड़ा।
2. बेअदबी के मामले: बेअदबी का मामला अक्टूबर 2015 से ही पंजाब के लिए एक बड़ा मुद्दा है। उस वक्त गुरु ग्रंथ साहिब के पन्ने फरीदकोट के बरगरी गांव के गुरुद्वारे के बाहर मिले थे। 2017 के चुनाव में कांग्रेस ने सरकार बनने पर बेअदबी मामले में न्याय करने की बात कही थी। इन मामलों में न्याय का इंतजार अभी भी है। इसी मुद्दे पर सिद्धू ने कैप्टन सरकार को न सिर्फ घेरा बल्कि उन्हें इस्तीफा देने को भी मजबूर कर दिया। चरणजीत चन्नी के मुख्यमंत्री बनने के बाद फिर से बेअदबी की घटनाएं हुईं। ये घटनाएं आगामी चुनाव में कांग्रेस की मुश्किल बढ़ा सकती हैं।
3. बेरोजगारी: चुनाव रैलियों के दौरान विपक्ष बेरोजगारी का मुद्दा भी उठाएगा। युवाओं में रोजगार के कम अवसर की वजह असंतोष की बातें में लगातार आती रही हैं। इसके साथ ही नशा, बॉर्डर पार से नशे की तस्करी, आतंकवाद जैसे मुद्दे भी पार्टियां चुनाव प्रचार के दौरान उठाएंगी।

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