हुकूमत एक्सप्रेस
मुरादाबाद। पहले लोग मोबाइल में एक बार बैलेंस पड़वाकर कई महीने तक भूल जाया करते थे। महिलायें भी 20 रूपये का बैलेंस पड़वाकर उसे 6-6 महीने तक खीचती थी और मिस्ड काॅल कर काम चलाती थी मगर अब मोबाइल सिम कम्पनियों ने मनमानी पर उतरते हुए हर महीने बल्कि 28 दिन में न्यूनतम 35 रूपये का रीचार्ज कराना अनिवार्य कर दिया है। 28 दिन बाद स्वतः ही आउटगोइंग सेवा बंद हो जायेगी और अगले 15 दिन तक रीचार्ज न कराने पर इनकमिंग काॅल की सुविधा से भी उपभोक्ता को हाथ धोना पड़ेगा। यानि मोबाइल डिब्बा बन जायेगा। बहुत से लोग 4-5 सिम तक मोबाइलो में चला रहे थे अब उन्हें सिमों की संख्या घटानी पड़ी है। लोगों की मिस्ड काॅल करने की आदत मोबाइल सिम कम्पनियों ने पूरी तरह छुड़ा दी है। कम्पनियों की इस मनमानी ने उपभोक्ताओं का बजट बिगाड़ दिया है। बिजली बिल की तरह हर महीने मोबाइल का रीचार्ज भी जेब ढीली करने लगा है।
ताज्जुब इस बात पर है कि मोबाइल सिम कम्पनियों की इस मनमानी के खिलाफ कहीं से कोई आवाज नहीं उठ रही और सब खामोशी इख्तियार किये हुए है। जबकि यह नियम विरूद्ध है। 6 माह पहले तक लोगों ने जो नये सिम खरीदे थे उन पर अगले कई सालों तक आउटगोइंग व इनकमिंग काॅल्स की अवधि दर्शाई जा रही थी मगर कम्पनियों ने एकाएक मनमानी पर उतरते हुए सारे नियम शर्तों का ताक पर रखकर हर 28 दिन बाद रीचार्ज कराने की अनिवार्यता से उपभोक्ताओं को बाध्य कर दिया है वह भी अपने मनमाने 35 रूपये वाले न्यूनतम रीचार्ज पर। जबकि पहले 10 रूपये तक का रीचार्ज हो जाया करता था।