भारत को ऋषि-मुनियों और अवतारों की भूमि कहा जाता है। इसके साथ ही देश में कई रहस्यमयी जगहें हैं जिससे आज तक कोई भी पर्दा नहीं उठा पाया है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं ऐसे ही कुछ रहस्यमयी जगहों के बारे में जो दुनिया के लोगों को अपने रहस्यों से चकित कर चुके हैं। उत्तर प्रदेश के मथुरा ज़िले में स्थित वृन्दावन एक महत्वपूर्ण धार्मिक व ऐतिहासिक स्थल है। वृन्दावन भगवान श्रीकृष्ण की लीला से जुड़ा है। वृंदावन में एक ऐसा मंदिर है जो अपने आप ही खुलता है और बंद होता है। इस मंदिर को रंगमहल के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि निधिवन परिसर में स्थित रंगमहल में भगवान श्रीकृष्ण रात्रि में शयन करते हैं। मंदिर में हर रोज प्रसाद के तौर पर माखन-मिश्री रखी जाती है। इसके अलावा भगवान कृष्ण के सोने के लिए पलंग भी रखी जाती है। सुबह जब मंदिर खोला जाता है, तो ऐसा लगता है कि इस बिस्तर पर कोई सोया था और प्रसाद भी ग्रहण किया है। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि अंधेरा होते ही इस मंदिर के दरवाजे अपने आप ही बंद हो जाते हैं।
पश्चिम बंगाल का दलदली इलाका भी रहस्यों को अपने आप में समेटे हुए है। कहा जाता है कि यहां पर कई बार रहस्यमयी रोशनी देखने को मिलती हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि यह रोशनी मछुआरों की आत्माएं हैं जिन्होंने मछली पकड़ते समय किसी वजह से अपनी जान गंवा दी थी। यह भी कहा जाता है कि जो मछुआरा इस रोशनी को देखता है, या तो वह रास्ता भटक जाता है या उसकी जल्द ही मौत हो जाती है। दलदली क्षेत्रों से कई बार मछुआरों के शव बरामद किए गए हैं। लेकिन स्थानीय प्रशासन यह नहीं मानता है कि ऐसा भूतों की वजह से हुआ है। वैज्ञानिकों ने आशंका जताई है कि दलदली क्षेत्रों में अक्सर मीथेन गैस बनती है। उससे किसी तत्व के संपर्क में आने के रोशनी पैदा होती है।
भारत में ऐसी कई झीलें है जो रहस्यमयी हैं। हिमालय की रूपकुंड झील की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। साल 1942 में यहां पर ब्रिटिश के फॉरेस्ट गार्ड को सैकड़ों नर कंकाल मिले थे। आज भी झील में मानवों के कंकाल और हड्डियां पड़ी हुई हैं। यह झील समुद्रतल से करीब 5,029 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह झील हिमालय की तीन चोटियों के बीच स्थित है जिसे त्रिशूल जैसा दिखने की वजह से त्रिशूल का नाम दिया गया है। उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में स्थित त्रिशूल भारत की सबसे ऊंची पर्वत चोटियों में शामिल है। रूपकुंड झील को कंकालों की झील भी कहा जाता है। मानवविज्ञानी और वैज्ञानिक इस रहस्य को जानने के लिए अध्ययन में लगे हुए हैं।
असम के दिमा हासो जिले की पहाड़ी में स्थित जतिंगा घाटी पक्षियों का सुसाइड प्वाइंट के तौर पर काफी मशहूर है। जतिंगा गांव में मानसून बीत जाने के बाद एक ऐसा आवरण बनता है की स्थिति धुंध पड़ने के समान हो जाती है और इसी समय गांव में एक अजीब घटना होती है। दरअसल, यहां के स्थानीय और प्रवासी पक्षियों में एक अजीब व्यवहार परिवर्तन देखने को मिलता है। हर साल सितंबर महीने में जतिंगा गांव पक्षियों की आत्महत्या के कारण सुर्खियों में आ जाता है। इस जगह पर ना केवल स्थानीय पक्षी बल्कि प्रवासी पक्षी भी पहुंच कर सुसाइड कर लेते हैं। इस वजह से जतिंगा गांव काफी रहस्यमय माना जाता है। आत्महत्या करने की प्रवृत्ति, तो इंसानों में आम है, लेकिन पक्षियों के मामले में ये बात एकदम अलग हो जाती है। जतिंगा गांव में पक्षी तेजी से उड़ते हुए किसी इमारत या पेड़ से टकरा जाते हैं, जिससे उनकी मौत हो जाती है। ऐसा इक्का-दुक्का नहीं, बल्कि हजारों पक्षियों के साथ होता है। सबसे अजीब बात, तो ये है कि ये पक्षी शाम 7 से रात 10 बजे के बीच ही ऐसा करते हैं, जबकि आम मौसम में इन पक्षियों की प्रवृति दिन में ही बाहर निकलने की होती है और रात में वे घोंसले में लौट जाते हैं। यह आज भी रहस्य है। आंध्र प्रदेश का वीरभद्र मंदिर विजयनगर साम्राज्य के वास्तुशिल्प शैली का एक शानदार नमुना है और इसमें स्थित विशाल नंदी मूर्ति, फ्रेस्को पेंटिंग्स और नक्काशी जैसे आकर्षक फीचर्स के अलावा, इसके लटकते खंभे जिज्ञासा उत्पन्न करते हैं। कुल मिलाकर, मंदिर में 70 खंभे हैं। हालांकि, दूसरों के विपरीत, उनमें से एक जमीन के संपर्क में नहीं आता है। ऐसा माना जाता है कि खंभे के आशीर्वाद के लिए नीचे कुछ स्लाइड करके आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है।