ऑपरेशन स्माइल ने सवा छह सौ गुमशुदा को अपनों से मिलाया

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देहरादून। दो महीने तक चले ऑपरेशन स्माइल ने सवा छह सौ गुमशुदा बच्चों, महिलाओं व पुरुषों को अपनों से मिला दिया। जाहिर है कि अपनों को पाकर इनके परिवार की खुशियों का कोई ठिकाना नहीं होगा। वह पुलिस के जज्बे की सराहना करते नहीं थक रहे। लेकिन, यह जज्बा पूरे साल भी तो बरकरार रह सकता है। पुलिस महानिदेशक की समीक्षा का आशय यही था कि अभियान कामयाब रहा और यह साबित भी कर दिया कि पुलिस तन-मन से ठान ले तो कोई भी काम मुश्किल नहीं। उन्होंने सधे शब्दों में नसीहत दी कि राज्य के किसी भी कोने से किसी के गुमशुदा होने की खबर मिले तो इसे सामान्य घटना न मानकर यह समझा जाए कि उनका कोई अपना बिछड़ गया है। यदि यह सोच आ गई तो शायद आने वाले दिनों में ऐेसे अभियान की जरूरत ही न पड़े और लोगों की खुशियां चंद दिनों में ही लौट आएं।
गृह मंत्रालय की एक भारत श्रेष्ठ भारत मुहिम के तहत इन दिनों देश के सभी राज्यों की पुलिस एक-दूसरे की कार्य संस्कृति से रूबरू हो रही है। इसी क्रम में उत्तराखंड पुलिस का एक दल कर्नाटक का भ्रमण कर लौटा है। इस दल ने वहां पुलिस की कार्यप्रणाली का 15 दिन तक बारीकी से अध्ययन किया। इसी तरह कर्नाटक पुलिस का भी एक दल उत्तराखंड पुलिस की कार्यशैली को समझ कर वापस जा चुका है। प्रदेश की पुलिस अभी अन्य राज्यों का भी भ्रमण करेगी। अब जरा अंदरखाने चल रही बातों पर गौर करें तो चर्चा है कि जब किसी आपराधिक मामले की विवेचना के दौरान दक्षिणी राज्यों की पुलिस उत्तराखंड आती है तो यहां के पुलिसकर्मी उनकी भाषा भी नहीं समझ पाते। इससे सामंजस्य बनाने में समस्या होती है। ऐसे में पुलिसकर्मियों को देश के विभिन्न राज्यों में बोली जाने वाली भाषा का भी सामान्य ज्ञान रखना पड़ सकता है।

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