मु0 रिज़वान
मुरादाबाद। कल तक विद्युत विभाग के आलाधिकारी उपभोक्ताओं से बकाया बिलों का जमा कर राजस्व वसूली पूरी कराने के लिए मान मनुहार करने में लगे थे। सोशल मीडिया, समाचार पत्रों के साथ साथ क्षेत्रीय पार्षदों को पत्र लिखकर बकायादारों को जल्द बकाया जमा करने के प्रयास किये जा रहे थे। दावे किये जा रहे थे कि जितना अधिक बकाया जमा होगा वि़द्युत व्यवस्था उतनी मजबूत होगी मगर अब यही गुहार लगाने वाले अधिकारी खुद राजस्व वसूली में बाधा बन गये है। उपभोक्ताओं में अब क्या संदेश जायेगा यह तो विद्युत अधिकारी ही बता सकते है।
विद्युत निजीकरण के विरोध में लामबंद अधीक्षण अभियन्ता, अधिशासी अभियन्ता व इंजीनियर समेत सैकड़ों कर्मचारी शामिल हैं। 27 मार्च को प्रदेश व्यापी आंदोलन की भी तैयारियां है। कल तक सरकार के लिए वसूली को एड़ी चोटी का जेार लगाने वाले बिजली विभाग के अधिकारी हड़ताल पर जाकर वित्तीय वर्ष के आखिरी माह में राजस्व वसूली को खुद पूरी तरह बैकफुट पर लाने में लग गये हैं। सरकार के विरोध में अफसर प्रदर्शन कर रहे हैं अब उपभोक्ता बेचारा क्या करे? कल तक बकाया जमा न होने पर अधिकारी उपभोक्ताओं पर ठीकरा फोड़ रहे थे अब वसूली प्रभावित होने का ठीकरा किसके सिर फोड़ा जाये?
वहीं दूसरी ओर यह हड़ताल पर आधी अधूरी ही चल रही है। निचले स्तर के कर्मचारी बकायदा बिजली घरों पर कामकाज कर रहे हैं जिससे कोई ज्यादा असर नहीं पड़ रहा है सिवाय वसूली अभियान को छोड़कर। कल तक सरकार का गुणगान करने वाले बिजली अधिकारी आज सरकार के विरोध में एकजुट हैं और राजस्व वसूली में बाधा बने हैं तो इसकी जवाबदेही किसकी है। कब तक उपभोक्ता के पांच हजार का बकाया चढ़ते ही फौरन उसका कनेक्शन काटा जा रहा था मगर अब किसी अधिकारी को बकाया वसूल करने की कोई फिक्र नहीं है। जाहिर सी बात है जब अपने ऊपर आती है तो इंसान सबकुछ भूल जाता है। यही हाल बिजली महकमें का है। कल तक बकाया वसूली के लिए जोर आजमाइश करने वाले अधिशासी अभियन्ता आज खुद बकाया वसूली में
बाधा बने बैठे है।