देहरादून. प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा की धामी-टू सरकार ने कामकाज शुरू कर दिया है, इधर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस अब तक नेता प्रतिपक्ष का भी चुनाव नहीं कर पाई है। गणेश गोदियाल के पद से इस्तीफा देने के बाद से प्रदेश अध्यक्ष का पद भी खाली पड़ा है। ऐसे में दोनों महत्वपूर्ण पदों के रिक्त होने से कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच बैचेनी हैं। हालांकि दोनों पदों पर पार्टी में भीतरखाने जबर्दस्त लॉबिंग चल रही है।
विधानसभा चुनाव में मिली हार की जिम्मेदारी लेते हुए गणेश गोदियाल ने बीते माह 15 मार्च को अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। जबकि नई सरकार के गठन के बाद नेता प्रतिपक्ष का भी चयन नहीं हो पाया। निवर्तमान नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह का कार्यकाल नई सरकार के गठन के बाद स्वत: ही समाप्त हो गया था।
पिछले दिनों प्रभारी देवेंद्र यादव के अध्यक्ष्ता में हुई विधानमंडल दल की बैठक में महत्वपूर्ण पदों पर नई नियुक्ति के लिए एक लाइन का प्रस्ताव पास कर राष्ट्रीय नेतृत्व पर फैसला लेने की जिम्मेदारी छोड़ दी गई थी। तब से पार्टी में भीतरखाने दोनों पदों को लेकर लॉबिंग तो खूब हो रही है, लेकिन बाहर खुलकर कोई कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।
नेता प्रतिपक्ष की रेस में प्रीतम आगे, प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए दो नाम
पार्टी सूत्रों की मानें तो जिस तरह के समीकरण बन रहे हैं, उनमें निवर्तमान नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह का पुन: नेता प्रतिपक्ष बनाया जा सकता है। उनके नाम पर भीतरखाने हरीश रावत गुट की ओर से भी सहमति बन चुकी है। लेकिन प्रदेश अध्यक्ष पद पर मामला लटका हुआ है। इस पद के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को खटीमा सीट से हराने वाले युवा नेता भुवन कापड़ी का नाम चर्चा में है।
वहीं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री के पद पर रह चुके सात बार के विधायक यशपाल आर्य का नाम भी प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए लिया जा रहा है। वहीं सूत्रों की मानें तो यशपाल प्रदेश अध्यक्ष पद के बजाए, नेता प्रतिपक्ष पद के लिए ज्यादा उत्सुक दिखाई दे रहे हैं। हालांकि इस बारे में पूछने पर किसी भी नेता ने अपनी तरफ से कोई दावेदारी पेश नहीं की है।