एजेंसीं न्यूज
लखनऊ। पीड़ित को न्याय मिले और व्यवस्था पारदर्शी रहे, इस मंशा से चलाई जा रही समन्वित शिकायत निवारण प्रणाली (आइजीआरएस) को पुलिस पलीता लगाने में जुट गई। मुख्यमंत्री कार्यालय से हुई रैंडम चेकिंग में खेल खुला कि मिर्जापुर पुलिस आवेदक का मोबाइल नंबर काटकर हेल्पलाइन के पोर्टल पर आवेदन फीड कर रही थी, ताकि शासन स्तर से फीडबैक न लिया जा सके। आगरा में भी गड़बड़ियां मिलीं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस पर नाराजगी जताते हुए दोनों जिलों के पुलिस कप्तानों से एक सप्ताह में रिपोर्ट तलब की है।
यूपी सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा आइजीआरएस पोर्टल पर एसएसपी आगरा और एसपी मिर्जापुर के कार्यालय में प्राप्त शिकायतों की फीडिंग का औचक परीक्षण किया गया। इसमें सामने आया कि पोर्टल पर कार्यालय द्वारा फीड किए गए संदर्भों में आवेदक का मोबाइल नंबर नहीं था, जबकि प्रार्थना पत्र में लिखा था। अधिकांश प्रार्थनों पत्रों को स्कैन करते समय निचले हिस्से को काट दिया गया, जिसमें आवेदक का मोबाइल नंबर लिखा होता है। ऐसा माना गया है कि यह किसी स्तर पर जान-बूझकर किया गया है, ताकि आवेदक से आइजीआरएस पोर्टल पर फीडबैक प्राप्त न हो सके।
मिर्जापुर और आगरा, दोनों ही स्थानों से आवेदक को आइजीआरएस पोर्टल के एसएमएस के माध्यम से निस्तारण की सूचना भी नहीं दी जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दोनों ही जिलों के पुलिस कप्तानों को निर्देश दिए हैं कि संबंधित नोडल अधिकारियों से स्पष्टीकरण लेकर टिप्पणी के साथ एक सप्ताह में रिपोर्ट भेजें।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) हितेशचंद्र अवस्थी को निर्देश दिए हैं कि पुलिस के अन्य जनपदीय कार्यालयों में समन्वित शिकायत निवारण प्रणाली (आइजीआरएस) पोर्टल पर प्रार्थना पत्रों की फीडिंग में मोबाइल नंबर सहित स्कैनिंग की स्थिति को चेक करें। गंभीर कमी और अनियमितता पाए जाने पर जिम्मेदारी तय कर मुख्यमंत्री कार्यालय को भी अवगत कराएं।