एजेंसी न्यूज
नई दिल्ली। 16 दिसंबर, 2012 को दिल्ली में हुए सामूहिक दुष्कर्म और हत्याकांड के दोषी मुकेश की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो चुकी है। कोर्ट बुधवार को इस पर अपना फैसला सुनाएगा। इस याचिका मे राष्ट्रपति के दया याचिका खारिज करने के आदेश को चुनौती दी गई है, साथ ही डेथ वारंट एक फरवरी के डेथ वारंट पर भी रोक लगाने की मांग की गई है। दोनों ही मामलों में बुधवार को फैसला होगा।
मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान फांसी की सजा पाए दोषी मुकेश की ओर से पेश वकील ने सनसनीखेज दावा किया कि उसके (मुकेश) साथ तिहाड़ जेल में शारीरिक शोषण हुआ है। वहीं, वकील ने यह भी दावा किया कि जेल में मुकेश की पिटाई भी की गई। कोर्ट में मुकेश के लिए राहत की गुजारिश करते हुए यह भी कहा कि गुनाह से नफरत करें, गुनहगार से नहीं।
उधर, सुनवाई के दौरान सोलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कभी कभार फांसी की सजा पाए दोषी की मानसिक स्थिति खराब हो जाती है, ऐसे में तब फांसी नहीं दी जाती है, लेकिन मुकेश की मानसिक स्थिति ठीक है।
वहीं, इससे पहले दोषी मुकेश के वकील ने याचिका पर पक्ष रखते हुए कहा कि राष्ट्रपति ने दया याचिका खारिज करते समय सोच विचार नहीं किया। राष्ट्रपति के सामने मेरी डीएनए रिपोर्ट नहीं पेश की गई, जिससे यह साबित होता है कि मैंने दुष्कर्म नहीं किया।
बता दें कि मुकेश ने राष्ट्रपति के दया याचिका खारिज करने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने चुनौती दी है। साथ ही एक फरवरी के डेथ वारंट पर भी रोक लगाने की मांग की है। यह और बात है कि दया याचिका पर राष्ट्रपति का फैसला अंतिम माना जाता है, बावजूद इसके मुकेश ने फांसी से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट से रहम की गुहार लगाते हुए याचिका दायर की है।
मुकेश की याचिका पर जस्टिस आर. भानुमति, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ सुनवाई कर रही है। मुकेश ने अपनी याचिका में कहा है कि राष्ट्रपति ने दया याचिका पर ठीक से विचार नहीं किया और जल्दबाजी में उसे खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने गत 14 जनवरी को मुकेश की क्यूरेटिव याचिका खारिज कर दी थी। साथ ही विनय की क्यूरेटिव याचिका भी खारिज कर दी गई थी। क्यूरेटिव याचिका खारिज होने के बाद मुकेश ने दया याचिका भेजी थी।