मुरादाबाद। मुरादाबाद में अगर विकास की बात करें तो कौन सा विभाग इस पर खरा उतर रहा है। मुख्यमंत्री को यह भी देखना होगा। मुरादाबाद विकास प्राधिकरण ने वर्षों पूर्व बाढ़ की जमीन पर पूरा नगर खड़ा कर दिया और बाढ़ आने पर उसकी सुरक्षा के कोई इन्तजाम नहीं किये। नतीजा यह हुआ कि वर्ष 2010 में रामगंगा में आयी बाढ़ ने रामगंगा के किनारे की कालोनियों को तबाह कर दिया और तब से लेकर अब तक लोग भयभीत रहते है। यदा कदा रामगंगा तटबंध निर्माण संघर्ष समिति मुख्यमंत्री, सांसदों, विधायकों, मण्डलायुक्त व जिलाधिकारी के साथ साथ विकास प्राधिकरण के अधिकारियों को इसके लिए याद दिलाते रहते है। लेकिन विकास प्राधिकरण के अधिकारी रामगंगा को तटबंध बनाने के नाम पर गुजरात तक दौरा कर आये और प्राधिकरण का पैसा बर्बाद कर दिया। और यहां आये मीडिया में लम्बे चैड़े बयान दे दिये कि हम यह करेगे और वह करेेंगे लेकिन किया कुछ नहीं।
जिसकी भी सरकार होती है संघर्ष सतिति के लोग उसके विधायकों, सांसदो को इस संबंध में बराबर ज्ञापन देते रहते है जिसकी सरकार नहीं होती है वह सांसद, विधायक कह देता है कि हमारी सरकार नहीं है तो हम क्या करें? लेकिन आज भाजपा की सरकार है भाजपा का सांसद है तो फिर तटबंध का निर्माण क्यों नहीं हो पा रहा है? हो सकता है इसका परिणाम भी आने वाले चुनाव में क्षेत्र की जनता के द्वारा दिखाई दे। अगर समय रहते भाजपा के विधायक, सांसद व प्रदेश के मुख्यमंत्री ने इस तटबंध का निर्माण नहीं कराया तो…..।
वेडिंग जोन में कम्पनी बाग में टिक्की चाट अर्थात खाने का सामान बेचने वालांे को जगह दी जायेगी तो फिर प्रदर्शनी का क्या होगा?
मुरादाबाद। जीपीएस मैपिंग से महानगर में वेन्डिंग जोन में वेंडरों को दुकानों का आवंटन कर दिया गया है। अब टाउनहाल क्षेत्र से हटाये गये खान पान का सामान बेचने वाले लोगों केा कंपनी बाग के वेडिंग जोन में जगह दी जायेगी जिसे स्मार्ट फूड जोन का नाम दिया गया है। हालांकि यह कार्य टाउनहाल क्षेत्र में जाम से निजात दिलाने के लिए हुआ है। वहीं अब एक महानगर के लोगों के दिमाग में दूसरा प्रश्न खड़ा हो गया है कि जब यह लोग कम्पनीबाग में ठेला आदि खड़ा करेंगें तो आने वाली जिला कृषि विकास एवं सांस्कृतिक प्रदर्शनी का क्या होगा। क्योंकि दिन में स्मार्ट फूड जोन में खाने वाले अपना ठेला लगायेंगे और प्रदर्शनी में जो लोग बाहर से दुकानें लेकर आते है। वह परमानेंट दुकानें लगाते है जो रात दिन वहीं रहते है। ऐसे में या तो प्रदर्शनी प्रभावित होगी या इन लोगों के सामने एक महीने के लिए रोजी रोटी का प्रश्न खड़ा हो जायेगा।