मुख्यमंत्री बनने से बमुश्किल एक महीने पहले हुए घटनाक्रम की चर्चा करते हुए ओडिशा के सीएम

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‘इंस्पेक्टर ने मुझे थाने से बाहर निकाल दिया’, CM ने सुनाया 4 महीने पहले का किस्सा, बोले- बहुत शर्मिंदगी हुई
मुख्यमंत्री बनने से बमुश्किल एक महीने पहले हुए घटनाक्रम की चर्चा करते हुए ओडिशा के सीएम ने कहा, भगवान जगन्नाथ के आशीर्वाद के लिए धन्यवाद, मैं मुख्यमंत्री बन गया। मैं उसके बाद इंस्पेक्टर की स्थिति की केवल कल्पना ही कर सकता था। मैंने यह मानते हुए उसे माफ कर दिया कि उसने दबाव में काम किया होगा।
ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने शुक्रवार को अतीत की एक घटना का जिक्र किया जब एक पुलिस इंस्पेक्टर ने उन्हें थाने से ‘‘बाहर निकल जाने’’ को कहा था। माझी ने यहां लोक सेवा भवन में दो दिवसीय कलेक्टर सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद यह टिप्पणी की। मुख्यमंत्री बनने से बमुश्किल चार महीने पहले हुए घटनाक्रम की चर्चा करते हुए माझी ने कहा कि क्योंझर निर्वाचन क्षेत्र में रायसुआन और गोपीनाथपुर पंचायत के निवासियों ने दो मई को राष्ट्रीय राजमार्ग-20 को अवरुद्ध कर पेयजल संकट को लेकर विरोध प्रदर्शन किया था और उस समय ओडिशा में चुनाव जारी था।
माझी ने उन्हें आश्वासन दिया कि वह उनकी चिंताओं को विभाग के कार्यकारी अभियंता के समक्ष उठाएंगे। हालांकि, जब तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक त्रिनाथ सेठी ने प्रदर्शनकारियों को थाने में आमंत्रित किया, तो उन्होंने विधायक के रूप में माझी की भूमिका की उपेक्षा करते हुए वहां उनकी उपस्थिति पर सवाल उठाया।मुख्यमंत्री बनने के बाद इंस्पेक्टर को कर दिया माफ
माझी ने कहा, ‘‘इंस्पेक्टर ने आदर्श आचार संहिता लागू होने की बात कहते हुए थाने में मेरी उपस्थिति पर सवाल उठाया और मुझसे कहा कि ‘बाहर निकल जाओ’, अन्यथा गिरफ्तार कर लूंगा।’’ उन्होंने सवाल किया, ‘‘क्या एक विधायक, जो उम्मीदवार भी हो, लोगों की समस्याओं को लेकर थाने नहीं जा सकता?’’ अपमानित महसूस करते हुए माझी ने पुलिस निरीक्षक के कार्यों के लिए जवाबदेही की मांग करते हुए थाने के बाहर धरना दिया। माझी ने कहा, ‘‘भगवान जगन्नाथ के आशीर्वाद के लिए धन्यवाद, मैं मुख्यमंत्री बन गया। मैं उसके बाद इंस्पेक्टर की स्थिति की केवल कल्पना ही कर सकता था। मैंने यह मानते हुए उसे माफ कर दिया कि उसने दबाव में काम किया होगा।’’उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि थानों को नागरिकों के साथ उचित व्यवहार करना चाहिए। माझी ने कहा कि जब लोग शिकायत दर्ज कराने आते हैं तो उन्हें गंभीरता से लिया जाना चाहिए और वरिष्ठ अधिकारियों को इस पर गौर करने का निर्देश दिया जाना चाहिए।जब कलेक्टर ने किया था द्रौपदी मुर्मू का अपमान उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से जुड़े एक उदाहरण का हवाला दिया, जिन्हें दो दशक पहले क्योंझर में एक बैठक के दौरान मंत्री के रूप में कार्य करते हुए एक जिला कलेक्टर से अपमान का सामना करना पड़ा था। माझी ने राष्ट्रपति मुर्मू से जुड़ी एक और घटना को भी याद किया जब वह बीजद-भाजपा गठबंधन सरकार में मंत्री थीं। जिला कलेक्टर ने एक केंद्रीय मंत्री के साथ किसी स्थान के दौरे के दौरान केवल केंद्रीय मंत्री का ही अभिवादन किया। माझी ने कहा, ‘‘अधिकारी ने उनका (मुर्मू) अभिवादन न करने के लिए माफ़ी भी नहीं मांगी।’’ उन्होंने अधिकारियों से इन प्रथाओं को बदलने और सरकारी संस्थानों के भीतर सम्मान एवं जवाबदेही की संस्कृति को बढ़ावा देने का आग्रह किया।