विधानसभा में सपा विधायक रागिनी ने उठाया ऐसा मुद्दा, स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक को देना पड़ा जवाब

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विधानसभा में सपा विधायक रागिनी ने उठाया ऐसा मुद्दा, स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक को देना पड़ा जवाब
उत्तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के पहले ही दिन जोरदार बहस देखने को मिली। जौनपुर की मछलीशहर से सपा विधायक डॉक्टर रागिनी ने सरकार के सामने ऐसे सवाल रख दिए। इन सवालों के जवाब डिप्टी सीएम व स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक को देना पड़ा।
उत्तर प्रदेश विधानसभा में सोमवार से मानसून सत्र शुरू हो गया। सत्र के पहले ही दिन सपा और बीजेपी के नेताओं में जोरदार बहस देखने को मिली। जौनपुर के मछलीशहर विधानसभा सीट से सपा विधायक डॉक्टर रागिनी और उपमुख्यमंत्री-स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक में जौनपुर के मेडिकल कॉलेज को लेकर जमकर नोक-झोंक हुई। सपा विधायक डॉक्टर रागिनी ने सदन के अंदर जौनपुर मेडिकल कॉलेज की बदहाली का मुद्दा उठाया था।
गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीजों के लिए क्या किया गया?
सदन के अंदर सपा विधायक रागिनी ने स्वास्थ्य मंत्री व डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक से सवाल किया। उन्होंने पूछा कि गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीजों के लिए सरकार द्वारा क्या योजनाएं बनाई गई हैं? इसके साथ ही सपा विधायक ने कहा कि जब भी ये सवाल सरकार से पूछा गया है तो बस एक ही जवाब दिया जाता है। इसमें कहा जाता है कि सरकार ने इतने जिला अस्पातल, इतने मेडिकल कॉलेज, इतने डायलिसिस की मशीनें और इतने एंबुलेंस शुरू करवाई हैं।जौनपुर मेडिकल कॉलेज के बदहाल सुविधा का उठाया मुद्दा
स्वास्थ्य विभाग का मुद्दा उठाते हुए मछलीशहर की विधायक रागिनी ने जौनपुर मेडिकल कॉलेज की एक फोटो विधानसभा के अंदर दिखाई। इस फोटो में जौनपुर के जिला अस्पताल के अंदर काला पानी तैरता हुआ दिखाई दे रहा है। सरकारी अस्पतालों की जो बिल्डिगें हैं वो बनने से पहले ही खंडर हो चुकी हैं। सपा विधायक ने कहा कि सरकारी स्वास्थ्य विभाग का ये हाल है। ऐसे में स्वास्थ्य मंत्री और सरकार के लोग गिनाते हैं कि उन्होंने क्या किया है। इसके साथ ही सपा विधायक रागिनी ने सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटर्स की समस्या और गरीबों का इलाज न हो पाने का मुद्दा उठाया था।
ब्रजेश पाठक ने दिया ये जवाब
सपा विधायक के इन्हीं सवालों के जवाब देते हुए स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक और सपा विधायक रागिनी के बीच जोरदार बहस हो गई। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि पहले जिला स्तर पर डायलिसिस नहीं होती थी। पहले सिर्फ कानपुर, लखनऊ, मेरठ और बनारस जैसे शहरों में ही डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध थी। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि आज उत्तर प्रदेश के 74 जिलों के सरकारी अस्पतालों में डायलिसिस की सुविधा दी जा रही है।