2024 में भी 2019 वाला हाल, लंबे चुनाव और EVM पर सवाल! लोकसभा चुनावों के 7 चरणों में होने पर टेंशन में क्यों है विपक्ष?

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2024 में भी 2019 वाला हाल, लंबे चुनाव और EVM पर सवाल! लोकसभा चुनावों के 7 चरणों में होने पर टेंशन में क्यों है विपक्ष?
लोकसभा चुनाव 7 चरणों में संपन्न होगा। लेकिन चुनाव आयोग की इस घोषणा के बाद से विपक्षी दल टेंशन में नजर आ रहे हैं। उनका कहना है कि ये चुनाव जल्दी संपन्न कराए जाने चाहिए थे। लोकसभा चुनाव के ऐलान के साथ ही राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारी को भी डबल कर दिया है। हालांकि पिछली बार की तरह इस बार भी 7 फेज में हो रही वोटिंग को लेकर विपक्ष ने सवाल खड़े किए हैं। इस बार 19 अप्रैल को पहले फेज की वोटिंग होगी और 7 चरण की वोटिंग के बाद 4 जून को लोकसभा चुनाव के नतीजे आएंगे। इस दौरान यूपी, बिहार और बंगाल में सबसे ज्यादा 7 चरणों में वोटिंग होना है। पहले चरण की वोटिंग से लेकर काउंटिंग तक यानी 46 दिनों की लंबी प्रक्रिया को लेकर कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने सवाल खड़े किए हैं।
पहले चरण की वोटिंग 19 अप्रैल को होगी, जबकि दूसरा चरण 26 अप्रैल, तीसरा 7 मई, चौथा चरण 13 मई, पांचवां चरण 20 मई, छठवां चरण 25 मई और सातवें चरण का मतदान 1 जून को होगा। देशभर में इलेक्शन की प्रक्रिया 46 दिन तक चलेगी। जबकि 4 जून को नतीजे के साथ ही नई सरकार का ऐलान हो जाएगा।
विपक्ष इस बार भी वही सवाल उठा रहा है, जो आज से 5 साल पहले या उससे पहले उठाया करता था। क्योंकि इस चुनाव की तारीखें भले ही अलग हों, लेकिन वोटिंग 7 चरणों में ही हो रही है। इस बार के चुनाव में दिल्ली समेत कुल 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एक ही फेज में मतदान होगा। वहीं कर्नाटक, राजस्थान, त्रिपुरा और मणिपुर में 2 चरणों में चुनाव होंगे।
छत्तीसगढ़ और असम में 3 चरणों में चुनाव होंगे। ओडिशा, मध्य प्रदेश और झारखंड में 4 चरणों में वोटिंग होगी। वहीं महाराष्ट्र और जम्मू-कश्मीर में 5 चरणों में चुनाव होंगे। उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल में पूरे 7 चरणों में मतदान होगा। चुनाव प्रक्रिया में लग रहे लंबे वक्त को लेकर विपक्ष ने सवाल उठाए है। कांग्रेस अध्यक्ष ने 3 से 4 हफ्ते में चुनाव खत्म करने की नसीहत दी है।
खरगे ने कहा, ‘सात चरणों का मतलब है कि लगभग सभी विकास कार्य रुक जाएंगे और लगभग 70-80 दिनों तक रुकने का मतलब है कि आप कल्पना कर सकते हैं कि देश कैसे प्रगति करेगा क्योंकि चुनाव आचार संहिता के अनुसार, लोग नहीं चलेंगे, सामग्री की आपूर्ति नहीं की जाएगी, बजट खर्च नहीं होगा, इसलिए मेरे हिसाब से ये ठीक नहीं है। चुनाव तीन या चार फेज के भीतर पूरे हो सकते थे।’
बसपा प्रमुख मायावती ने कहा, ‘देश में लोकसभा आमचुनाव 2024 के लिए तिथि की घोषणा का स्वागत है। यदि यह चुनाव कम समय में करीब तीन या चार चरणों में होता तो ज्यादा बेहतर होता। इससे समय और संसाधन दोनों की बचत के साथ ही चुनावी खर्च कम करना संभव होता। चुनावी माहौल भी लगातार तनावपूर्ण, जातिवादी और सांप्रदायिक बने रहने सहित और भी समस्यायें इससे दूर होतीं।’
इस बार चुनाव 7 चरणों में हो रहा है। 2019 में भी सात चरणों में ही लोकसभा चुनाव के लिए वोटिंग हुई थी। वहीं 2014 के चुनाव में नौ चरणों में वोटिंग हुई थी। 2009 में छह फेज और 2004 में चार चरणों में लोकसभा चुनाव के लिए वोटिंग हुई थी।
एक तरफ विपक्ष लंबे चुनावों पर सवाल खड़े कर रहा है। वहीं बीजेपी का तर्क है कि लंबे समय का लाभ सभी पार्टियों को एक जैसा मिलेगा। ये सभी दलों के लिए बराबर समय है। खुद करनाल से बीजेपी कैंडिडेट मनोहर लाल ने ये बात कही है। बता दें कि बीजेपी अबतक दो लिस्ट में 267 उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है। वहीं विपक्ष अब भी सीट समझौतों में उलझा है।
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पिछले चुनाव की तरह इस बार भी ईवीएम विपक्ष के निशाने पर है। विपक्ष का कहना है कि EVM को लेकर देशभर में एक परसेप्शन है और इसकी विश्वसनीयता पर लगातार सवाल उठते रहे हैं। इस देश की जनता EVM और VVPAT को लेकर चिंतित हैं। हालांकी विपक्ष के EVM पर सवाल उठाने से पहले ही आयोग ने उनकी शंका दूर करने की कोशिश की। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि ईवीएम 100 फीसदी सेफ है। जो लोग ईवीएम में खामी निकालते हैं, उन पर कटाक्ष करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, ‘अधूरी हसरतों का इल्जाम हर बार हम पर लगाना ठीक नहीं, वफा खुद से नहीं होती खता ईवीएम की कहते हो।’

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