उत्तरकाशी सुरंग हादसा: बोख नाग देवता को चढ़ाने के लिए गंगाजल लेकर आया पुजारी, मजदूरों के लिए की प्रार्थना

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उत्तरकाशी सुरंग हादसा: बोख नाग देवता को चढ़ाने के लिए गंगाजल लेकर आया पुजारी, मजदूरों के लिए की प्रार्थना
उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने के हर संभव प्रयास जारी हैं। इस बीच पुजारी रावत सतीश हेमवाल गंगाजल लेकर पहुंचे हैं जो वह बोख नाग देवता पर्वत श्रृंखला पर चढ़ाने वाले हैं और सुरंग में फंसे मजदूरों की सलामती के लिए प्रार्थना करेंगे।
उत्तरकाशी में 12 नवंबर से सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को सुरक्षित निकालने के लिए प्रयास लगातार जारी हैं। पिछले 8 दिनों से बचाव अभियान लगातार जारी है। इस बीच पुजारी रावत सतीश हेमवाल बोख नाग देवता पर्वत श्रृंखला पर चढ़ाने के लिए गंगाजल लेकर पहुंचे हैं। उन्होंने मजदूरों की सलामती के लिए प्रार्थना भी की है। सतीश हेमवाल ने कहा कि मजदूरों को भोजन और दवाएं दी जा रही हैं। मैंने पाइप के माध्यम से उनसे बात की और हर कोई बाहर आने का बेसब्री से इंतजार कर रहा है।12 नवंबर की सुबह से सुरंग में फंसे हैं मजदूर
बता दें कि 12 नवंबर की सुबह भूस्खलन के बाद सुरंग के कुछ हिस्से ढह गए थे। इस हादसे में बाद 41 मजदूर मलबे के एक विशाल ढेर के पीछे फंस गए थे। घटना के बाद से ही बचाव अभियान युद्धस्तर पर चलाया जा रहा है। जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से लगभग 30 किमी दूर और उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से सात घंटे की दूरी पर स्थित सिल्कयारा सुरंग केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी ‘चार धाम सदाबहार सड़क परियोजना’ का हिस्सा है।
प्रधानमंत्री मोदी ले रहे हालात का जायजा
वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सिलक्यारा सुरंग में एक सप्ताह से अधिक समय से फंसे 41 श्रमिकों को निकालने के लिए जारी बचाव अभियान का जायजा लेने के लिए सोमवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फोन पर बात की। उन्होंने कहा कि आवश्यक बचाव उपकरण और संसाधन केंद्र द्वारा और केंद्रीय एवं राज्य एजेंसियों के बीच आपसी समन्वय के माध्यम से उपलब्ध कराए जा रहे हैं और उन्होंने उम्मीद जताई कि फंसे हुए मजदूरों को सुरक्षित निकाल लिया जाएगा। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, प्रधानमंत्री ने कहा कि फंसे हुए श्रमिकों का मनोबल बनाए रखना आवश्यक है। यह तीसरी बार है जब प्रधानमंत्री ने सुरंग में फंसे श्रमिकों के बचाव कार्यों के बारे में धामी से बात की।

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