पीएम मोदी ने वन वर्ल्ड टीबी समिट का किया शुभारंभ भारत का यह प्रयास टीबी के खिलाफ वैश्विक है – नरेन्द्र मोदी

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एजेंसी समाचार
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज का भारत अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने वाले के रूप में जाना जाता है। उन्होंने कहा कि वन वर्ल्ड टीबी समिट के जरिये भारत एक नए संकल्प पूरा कर रहा है। भारत का यह प्रयास टीबी के खिलाफ वैश्विक है। पिछले 9 वर्ष में भारत टीबी के लिए जनभागीदारी, इलाज के लिए नई रणनीति, नई तकनीक जैसे खेलो इंडिया, योग। इसमें सबसे महत्वपूर्ण है जनभागीदारी। भारत में टीबी को स्थानीय भाषा में क्षय कहा जाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विश्व क्षय रोग दिवस पर शुक्रवार को रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में ह्यवन वर्ल्ड टीबी समिट 2023ह्ण में उपस्थित देश-विदेश से आए लोगों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कोई भी इलाज से छूटे नहीं, इसके लिए नई रणनीति पर काम शुरू किया है। उन मरीजों को आयुष्मान कार्ड से जोड़ा है। उन्होंने कहा कि वन वर्ड टीबी समिट के जरिये भारत एक नए संकल्प पूरा कर रहा है। भारत में टीबी को स्थानीय भाषा में क्षय कहा जाता है। उन्होंने कहा कि विदेश से आए अतिथियों को यह जानकर आश्चर्य होगा कि भारत में टीबी मरीजों को लोग गोद ले रहे हैं। इसे भारत में निक्षय मित्र कहा जाता है। उन्होंने बताया कि टीबी मरीजों के पोषण के लिए वर्ष 2018 से डीबीटी के लिए 2000 करोड़ उनके बैंक खाते में भेजे गए। इससे करीब 75 लाख मरीजों को लाभ पहुंचा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कोई भी इलाज से छूटे नहीं इसके लिए हमने नई रणनीति पर काम शुरू किया है। उन मरीजों को आयुष्मान कार्ड से जोड़ा है। लैब की संख्या बढ़ाई है। इस कड़ी में आज हम टीबी मुक्त पंचायत की घोषणा कर रहे हैं। नई व्यवस्था के तहत अब तीन महीने ही मरीजों को दवा लेनी होगी। इससे मरीजों को सुविधा मिलेगी। मरीजों को ट्रैक करने के लिए आईसीएमआर के साथ मिलकर निक्षय पोर्टल बनाया गया है। उन्होंने बताया कि इन प्रयासों के कारण आज भारत में मरीजों की संख्या कम हो रही है। कर्नाटक और जम्मू कश्मीर राज्य को टीबी से मुक्त करने के लिए पुरस्कार दिया गया है। भारत 2025 तक टीबी मुक्त करने का संकल्प लिया है। जबकि विश्व में इसका लक्ष्य 2030 तक है। कोविड काल से ही हम स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत बनाने में जुटे हैं। उन्होंने बताया कि आज टीबी के लिए 80 प्रतिशत दवाएं भारत में बनती है। प्रधानमंत्री ने काशी की महत्ता का बखान करते हुए कहा कि काशी नगरी वे शाश्वत धारा है, जो हजारों वर्षों से मानवता के प्रयासों और परिश्रम की साक्षी रही है। काशी इस बात की गवाही देती है कि चुनौती चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हो जब सबका प्रयास होता है तो नया रास्ता भी निकलता है। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि टीबी जैसी बीमारी के खिलाफ हमारे वैश्विक संकल्प को काशी एक नई ऊर्जा देगी। उन्होंने महात्मा गांधी के एक वाक्ये को सुनाया जिसमें कुष्ठ रोग उन्मूलन की पहल थी तथा बताया कि किस प्रकार उन्होंने गुजरात का मुख्यमंत्री रहते वहां कुष्ठ रोग का उन्मूलन किया। टीबी मरीजों को जागरूक करने पर भी हमें ध्यान देना होगा। उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में बनारस परिक्षेत्र में स्वास्थ्य के क्षेत्र में हुए कार्यों को गिनाते हुए बताया कि इससे बनारस के आसपास के लोगों को भी बहुत मदद मिली है। उन्होंने राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र और उच्च रोकथाम प्रयोगशाला की बनारस यूनिट का उद्घाटन भी किया। उन्होंने कर्नाटक राज्य को टीबी उन्मूलन के क्षेत्र में काम करने को रजत पदक तथा जम्मू कश्मीर को कांस्य पदक दिया गया। इस बार 300 जिलों में टीबी उन्मूलन के लिए टार्गेट लिया गया था। उन्होंने भारत की विचारधारा वसुधैव कुटुम्बकम की बात करते हुए एक विश्व की बात कही। उन्होंने जी-20 की थीम “एक पृथ्वी-एक कुटुंब-एक भविष्य” को भी दोहराया। अंत में उन्होंने ‘यस वी कैन-यस वी विल’ का नारा भी दोहराया। प्रधानमंत्री ने तीन दिवसीय वन वर्ल्ड टीबी समिट कार्यक्रम में टीबी के क्षेत्र में एक प्रमुख पहल लॉन्च की। जिसमें इंडिया टीबी रिपोर्ट- 2023, फॅमिली हेल्पलाइन नंबर, टीबी मुक्त पंचायत अभियान, क्रमबद्ध निवारक उपचार जिसमें की केवल 12 खुराक दी जाती शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वागत करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कर्म स्थली काशी है। आज उनके नेतृत्व में भारत नित नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने भारत को 2025 तक टीबी से मुक्त करने का जो संकल्प दिया था, आज हम उसके नजदीक पहुंच चुके हैं। आज स्टॉप टीबी कैंपेन का जो थीम दिया गया है, ये वास्तव में उनके संकल्पों को मजबूती प्रदान करने और उसे आगे बढ़ाने का है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में देश 21 फीसदी टीबी के मरीज पाए जाते रहें हैं। पिछले 5 साल में उत्तर प्रदेश ने जो लक्ष्य प्राप्त किए हैं, उनमें 16 लाख 90 हजार रोगियों को डीबीटी के माध्यम से सीधे उनके बैंक खातों में पोषण सहायता के माध्यम से अबतक 422 करोड़ का भुगतान किया गया है। उन्होंने बताया कि अब तक उत्तर प्रदेश में 2 लाख 25 हजार टीवी रोगियों को गोद लिया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पहली बार देश में ऐसा हुआ है कि जब किसी महामारी के आने पर स्वदेशी वैक्सीन बनाया गया है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश की 40 करोड़ जनता को मुफ्त में वैक्सीन लगाया गया है। उत्तर प्रदेश टीबी बीमारी की रोकथाम के लिए विभिन्न केंद्रों पर डॉट्स का वितरण किया जा रहा है। इंफ्लाटिस और एक्यूट इंफ्लाटिस के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है। प्रदेश में संचारी रोग के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है, जो माडल बनेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विशेष रूप से जोर देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में वर्ष 2025 तक टीवी का पूरी तरह उन्मूलन भारत से होगा। टीवी हारेगा और भारत जीतेगा।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुखभाई मंडाविया ने सम्मेलन में सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि भारत में हर साल 24 लाख टीबी मरीज पाये जाते जिनमें लगभग 92000 लोगों की मृत्यु हो जाती। इन्हीं जिंदगियों को बचाने के लिए हमने प्रधानमंत्री जी के जन्मदिन पर सेवा सप्ताह मनाया, जिसमें विभिन्न क्षेत्र के लोगों द्वारा 15 दिन के अंदर 10 लाख टीवी मरीजों को गोद लिया गया। वर्तमान में 71 हजार निक्षय मित्र बन चुके हैं। हम संयुक्त राष्ट्र के 2030 तक टीबी उन्मूलन से 5 साल पहले 2025 तक टीबी उन्मूलन के लक्ष्य को लेकर चल रहे। स्टॉप टीबी पार्टनरशिप की कार्यकारी निदेशक डॉ लुसिका डिटियू ने आयोजित कार्यक्रम की तारीफ करते हुए प्रसन्नता जाहिर की तथा टीबी उन्मूलन के क्षेत्र में और अधिक काम करने की जरूरत बताया क्योंकि टीबी से होने वाली मौतों में 700 बच्चे भी होते। उन्होंने इंडिया के 2025 तक टीबी उन्मूलन के लक्ष्य की तारीफ की तथा कहा कि पिछले कुछ वर्षों में भारत में अच्छे काम हुए हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से विश्व से टीबी उन्मूलन के क्षेत्र में वैश्विक जिम्मेदारी निभाने का निवेदन भी किया तथा बनारस से 5 मरीजों को गोद लेने की बात कही। इससे पूर्व प्रधानमंत्री ने बटन दबाकर राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र और उच्च रोकथाम प्रयोगशाला, वाराणसी शाखा का शिलान्यास किया। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक, मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, ब्राजील, नाइजीरिया देशों के स्वास्थ्य मंत्री तथा प्रतिनिधि तथा डब्ल्यूएचओ के रीजनल डायरेक्टर भी शामिल थे। सम्मेलन में वर्चुअल माध्यम से विभिन्न राज्यों के राज्यपाल भी जुड़े थे तथा भारी संख्या में देश-विदेश से टीबी के क्षेत्र में काम करने वाले डॉक्टरों की उपस्थिति भी रही

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