लखनऊ. विधानमंडल के शीतकालीन सत्र को सुचारू रूप से चलाने के लिए विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने सभी दलों से सहयोग मांगा। सर्वदलीय बैठक में सपा ने न्यूनतम सात दिन तक सत्र चलाने की मांग रखी। साथ ही कहा कि पहले दिन पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ‘नेताजी’ को श्रद्धांजलि देने के बाद सदन की कार्यवाही स्थगित कर दिया जाए। माना जा रहा है कि सोमवार को अनुपूरक बजट प्रस्तुत करने के बाद सदन की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी जाएगी।
विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने 5 दिसंबर से प्रारंभ हो रहे 18वीं विधान सभा के तृतीय सत्र को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए सभी दलीय नेताओं से सहयोग देने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि संसदीय व्यवस्था में संवाद और सकारात्मक चर्चा के माध्यम से लोकतंत्र मजबूत होता है। विधानसभा अध्यक्ष ने अनुरोध किया कि सभी सदस्य सदन में अपना पक्ष संसदीय मर्यादा के तहत रखें।
विधानसभा में सपा के मुख्य सचेतक मनोज पांडेय ने कहा कि स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव देश के बड़े समाजवादी नेता थे। सदन में सोमवार को उन्हें श्रद्धांजलि देने के बाद कोई काम न हो। साथ ही कहा कि प्रदेश में बड़ी गंभीर समस्याएं हैं, जिन पर चर्चा किया जाना आवश्यक है। इसलिए जनहित में इस सत्र को न्यूनतम सात दिन का होना चाहिए। विधानभवन में आयोजित इस बैठक में सभी दलीय नेताओं ने विधान सभा अध्यक्ष को सदन चलाने में सहयोग देने का आश्वासन दिया। भविष्य में भी नये प्रयोग के साथ विधानसभा में परिवर्तन देखने के सुझाव पर अध्यक्ष ने सहमति व्यक्त की।
सर्वदलीय बैठक में संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने सभी दलीय नेताओं को आश्वस्त किया कि सरकार पूरी गंभीरता के साथ विकास को नई गति देने और उसे आगे बढ़ाने के लिए कार्य करेगी। सरकार सभी मुद्दों पर सकारात्मक कार्यवाही के लिए प्रतिबद्ध है। संसदीय कार्यमंत्री ने मुख्यमंत्री की भावना के अनुरूप सभी दलीय नेताओं से सदन में शान्तिपूर्ण सहयोग करने की अपील की।
इससे पूर्व कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में विधान सभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा कि सत्र के पहले दिन निधन के निदेश रखे जाएंगे। बैठक में समाजवादी पार्टी के नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव के स्थान पर मनोज पांडेय, राष्ट्रीय लोक दल के नेता प्रदीप, अपना दल (सोनेलाल) के नेता रामनिवास वर्मा, निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल के नेता संजय निषाद व अनिल कुमार त्रिपाठी, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के नेता ओमप्रकाश राजभर, कांग्रेस पार्टी की नेता आराधना मिश्रा मोना, जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) के नेता रघुराज प्रताप सिंह राजा भइया, बहुजन समाज पार्टी के नेता उमाशंकर सिंह ने भी अपने विचार रखे।