मास्को. यूक्रेन विवाद में अब सारा ध्यान फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की मध्यस्थता पर आ टिका है। मैक्रों ने यूक्रेन को लेकर रक्षा परिषद की बैठक बुलाई है। इधर, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने टेलीविजन पर राष्ट्र को एक वीडियो संबोधन के जरिए संबोधित किया।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने संबोधन में यूक्रेन को अमेरिका का उपनिवेश बताते हुए कहा कि यूक्रेन का शासन अमेरिका के हाथों की ‘कठपुतली’ है। इस दौरान पुतिन ने बड़ा एलान भी किया। उन्होंने घोषणा करते हुए कहा कि पूर्वी यूक्रेन में दो अलगाववादी गणराज्यों डोनेत्स्क (Donetsk) और लुहांस्क (Luhansk) को स्वतंत्र के रूप में मान्यता दी जाएगी।
जेलेंस्की ने बाइडन से की बात
उधर, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ नवीनतम घटनाक्रम पर चर्चा की है। व्हाइट हाउस ने दोनों नेताओं के बीच बातचीत की पुष्टि करते हुए कहा है कि इसमें ब्रिटेन के पीएम बोरिस जॉनसन के साथ बातचीत करने की योजना पर बात हुई है।
बाइडन ने अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा टीम के साथ बैठक की
व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने कहा, “राष्ट्रपति बाइडन आज व्हाइट हाउस में अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा टीम के साथ बैठक कर रहे हैं और उन्हें रूस और यूक्रेन के घटनाक्रम के बारे में नियमित रूप से जानकारी दी जा रही है।”
न्यूज एजेंसी एएफपी के मुताबिक, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के कार्यालय ने बताया कि मैक्रों ने यूक्रेन को लेकर रक्षा परिषद की बैठक बुलाई है। इससे पहले क्रेमलिन ने बताया कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन के विद्रोही क्षेत्रों को स्वतंत्र मानेंगे। क्रेमलिन ने कहा कि यूक्रेन के विद्रोहियों को पुतिन की ओर से मान्यता देने को लेकर फ्रांस के राष्ट्रफति इमैनुएल मैक्रों और जर्मनी के चांसलर ओलॉफ स्कॉल्ज ने निराशा जताई है।
डोनबास पर जल्द ही सरकारी आदेश पर हस्ताक्षर करेंगे पुतिन, मैक्रों और स्कॉल्ज ने व्यक्त की निराशा
क्रेमलिन ने एक बयान में कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोमवार को फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और जर्मन चांसलर ओलॉफ स्कॉल्ज से कहा कि वह जल्द ही डोनबास पर एक सरकारी आदेश (डिक्री) पर हस्ताक्षर करने वाले हैं।
स्पुतनिक के मुताबिक, बयान में कहा गया है कि पुतिन ने फोन पर बातचीत के दौरान, मैक्रों और स्कॉल्ज को रूसी सुरक्षा परिषद की विस्तारित बैठक के परिणामों के बारे में बताया। रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि वह निकट भविष्य में इसी डिक्री पर हस्ताक्षर करने का इरादा रखते हैं। फ्रांस के राष्ट्रपति और जर्मनी के संघीय चांसलर ने इस विकास पर निराशा व्यक्त की।
यूक्रेन में अलगाववादी क्षेत्रों को लेकर पुतिन ने बुलाई बैठक
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पूर्वी यूक्रेन में रूस समर्थित क्षेत्रों की स्वतंत्रता को मान्यता देने पर विचार-विमर्श करने के लिए सोमवार को शीर्ष अधिकारियों की बैठक बुलाई। राष्ट्रपति की सुरक्षा परिषद की बैठक ऐसे समय पर बुलाई गई है, जब पश्चिमी देशों को इस बात का डर है कि रूस किसी भी समय यूक्रेन पर हमला कर सकता है और वह पूर्वी यूक्रेन में झड़पों को, हमले करने के लिए बहाने के तौर पर इस्तेमाल कर सकता है।
इससे पहले, यूक्रेन के अलगाववादी नेताओं ने टेलीविजन पर प्रसारित एक बयान के जरिए रूस के राष्ट्रपति से अनुरोध किया था कि वे अलगाववादी क्षेत्रों की स्वतंत्रता को मान्यता दें और मित्रता संधियों पर हस्ताक्षर करके उनके ‘खिलाफ जारी यूक्रेनी सेना के आक्रमणों से’ उनकी रक्षा करने के लिए सैन्य सहायता भेजें। रूस के निचले सदन ने भी पिछले सप्ताह इसी प्रकार की अपील की थी।
यूक्रेनी प्राधिकारियों ने कोई भी आक्रमण करने से इनकार किया है और रूस पर उकसाने का आरोप लगाया है। इस बीच, अमेरिका ने कहा है कि रूस अगर यूक्रेन पर हमला नहीं करे तो अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन अपने रूसी समकक्ष पुतिन के साथ ‘‘सैद्धांतिक रूप से’’ बैठक करने को तैयार हैं।
इमैनुएल मैक्रों और व्लादिमीर पुतिन ने फोन पर की बात, नहीं बनी सहमति
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पूर्वी यूक्रेन में संघर्ष विराम को लेकर रविवार को फोन पर बातचीत की। यह बातचीत 105 मिनट लंबी चली लेकिन दोनों नेताओं के बीच यूक्रेन में तनाव को लेकर जिम्मेदार देश के नाम पर सहमति नहीं बनी। पूर्वी यूक्रेन में तनाव के लिए कौन जिम्मेदार है, इस पर दोनों ने असहमति जताई।
इमैनुएल मैक्रों ने तनाव के लिए रूसी अलगाववादियों पर आरोप लगाया जबकि पुतिन ने यूक्रेन पर आरोप लगाया। हालांकि, मैक्रों के कार्यालय ने बताया कि दोनों नेताओं ने यूक्रेन संकट पर ‘कूटनीतिक समाधान’ का समर्थन करने पर सहमति व्यक्त की।
इससे पहले सुरक्षा परिषद के अधिकारियों की बैठक में पुतिन ने कहा था कि पूर्वी यूक्रेन को मान्यता देने पर विचार किया जा रहा है। रूस ने तनाव कम करने के लिए हर संभव प्रयास कर लिया है। शांतिपूर्ण माहौल बना रहे, ऐसी कोशिश की गई। पुतिन ने तेवर दिखाते हुए यह भी कहा है कि हमें नाटो (NATO) और अमेरिका की कोई गारंटी नहीं चाहिए।
दरअसल, रूस नहीं चाहता कि यूक्रेन नाटो में शामिल हो, क्योंकि रूस को लगता है कि अगर ऐसा हुआ तो नाटो के सैनिक और ठिकाने उसकी सीमा के पास आकर खड़े हो जाएंगे।
2014 में क्रीमिया पर किया था कब्जा
बता दें कि 2014 में रूस ने यूक्रेन के शहर क्रीमिया पर हमला करके कब्जा जमा लिया था। क्रीमिया पर कब्जे के बाद भी संघर्ष जारी रहा। यूक्रेन के डोनबास (Donbas) के दो इलाके डोनेत्स्क (Donetsk) और लुहांस्क (Luhansk) में अलगाववादियों ने अलग देश घोषित कर दिया। डोनेत्स्क और लुहांस्क अभी दो अलग-अलग देश हैं। ये दोनों देश पूर्वी यूक्रेन का हिस्सा हैं।
2021 के आखिरी में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने नाटो की सदस्यता लेने का एलान किया था। इसी फैसले के बाद से यूक्रेन से रूस नाराज है, जो नहीं चाहता है कि यूक्रेन नाटो से जुड़े। यूक्रेन पर दबाव बनाने के लिए पिछले कुछ महीनों से लाखों रूसी सैनिक यूक्रेन की सीमा पर तैनात हैं और माना जा रहा है कि रूस कभी भी यूक्रेन पर हमला कर सकता है।