पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने के मामले में हाईकोर्ट ने सीबीआइ से मांगा जवाब

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नैनीताल। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने विधायकों की कथित खरीद-फरोख्त के स्टिंग मामले में दर्ज एफआईआर को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल किया है। रावत ने प्राथमिकी निरस्त करने की मांग की है। कोर्ट ने इस मामले में सीबीआई को जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की एकलपीठ में शुक्रवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद कोर्ट ने अगली तिथि सात जनवरी नियत कर दी है। सुनवाई के दौरान पूर्व सीएम रावत ने सीबीआई द्वारा उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को चुनौती देते हुए कहा है सीबीआई को एफआईआर दर्ज करने का अधिकार नहीं है। जिस पर कोर्ट ने सीबीआई को इस पर जवाब देने को कहा है। सीबीआई ने इस मामले में रावत के साथ ही न्यूज चैनल संचालक तथा वन मंत्री डॉ हरक सिंह रावत के खिलाफ मामला दर्ज किया है। 2016 में कांग्रेस विधायकों की बगावत का बाद तत्कालीन कांग्रेस सरकार का सियासी संकट शुरू हुआ था। स्टिंग मामले की राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्यपाल द्वारा सीबीआई जांच की संस्तुति केंद्र सरकार को भेजी थी। पहले हाईकोर्ट व फिर सुप्रीम कोर्ट के आदेश से राष्ट्रपति शासन लगाने का आदेश निरस्त हुआ और बर्खास्त रावत सरकार बहाल हुई तो मुख्यमंत्री की गैरमौजूदगी में तत्कालीन कैबिनेट मंत्री इंदिरा हृदयेश की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में स्टिंग मामले की सीबीआई से जांच हटाकर एसआइटी जांच कराने का फैसला लिया। इस फैसले को डॉ हरक सिंह रावत ने चुनौती दी थी।

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