हुकूमत एक्सप्रेस
मुरादाबाद। योगी सरकार ने आते ही ई टेण्डरिंग प्रक्रिया प्रारम्भ की जिसके पीछे उनका उद्वेश्य था कि माफिया लोग टेण्डरों पर हावी न हों और सामान्य ठेकेदार भी उसमें भाग ले सकें। लेकिन हुआ इसका उल्टा। ई टेण्डरिंग प्रक्रिया लागू होने से समाचार पत्रों में टैण्डरों का प्रकाशन काफी कम हो गया। जिसकी वजह से सामान्य ठेकेदार जो अपने टेण्डर डालना चाहते थे ई टेण्डरिंग प्रक्रिया लागू होने से इससे वंचित होने लगे। दूसरी ओर जन सामान्य भी इस सबसे अनभिज्ञ हो गया कि किस चीज का टेण्डर पड़ना है या किस चीज का टेण्डर निकला है जो वह किसी को भी कोई जानकारी दे सकता या उसकी जानकारी रखता।
वहीं दूसरी ओर अधिकारियों ने ई टेण्डरिंग का लाभ उठाना प्रारम्भ कर दिया। आरोप है कि उन्होेंने ठेकेदारों को समझाया कि विभाग का कोई ठेका कोई ठेकेदार ले ले और कोई ठेका कोई और। इससे सबको लाभ हो जायेगा। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण शिक्षा विभाग है। जहां प्रदेश स्तर पर ई टेण्डरिंग प्रक्रिया के चलते पूरे प्रदेश में स्कूली बच्चों के स्वेटरों के लिए टेण्डर निकाला गया। उसमें एक स्वेटर की कीमत 350 रूपये आई। शिक्षा विभाग या सरकार को लगा कि यह कीमत काफी अधिक है। इसलिए टेण्डर निरस्त कर दोबारा ई टेण्डरिंग प्रक्रिया से इसी प्रकार का टेण्डर निकाला गया मगर हालात फिर भी यही रहे और ठंड निकलती रही। स्कूली बच्चे ठंड में ठिठुरते रहे अब हारकर शिक्षा विभाग में अपने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वह स्कूलों के अध्यापकों से प्रति बच्चा 200 रूपये के हिसाब से स्वेटर खरीदें और इसकी सीमा एक माह निर्धारित कर दी है जो 2 फरवरी 2018 तक बैठती है। शिक्षकों को इसके लिए बाध्य किया जा रहा है कि वह ऐसा करें। वहीं दूसरी ओर इसका विरोध प्राथमिक शिक्षक संघ के शिक्षक ने लिखित रूप में किया है कि शिक्षक ऐसा नहीं करेंगे। अब ई टेण्डरिंग प्रक्रिया ने उ0प्र0 में प्राइमरी के बच्चों को पूरी ठंड में ठिठुरने पर मजबूर कर दिया। फरवरी माह में स्वेटर आ भी गये तो यह पैसे का दुरूपयोग होगा। तब तक कुछ दिनों की ही ठंड बचेगी। बताते हैं कि एक कम्पनी ने कुछ कम दर पर स्वेटर देने की बात कही थी। परन्तु उसने केवल लखनऊ शहर में ही स्वेटर देने के बात कही पूरे प्रदेश में नहीं।
350 रूपये का टेण्डर पड़ने से और विभाग द्वारा शिक्षको को इसके लिए 200 रूपये निर्धारित करने से एक बात तो स्पष्ट हो गयी कि सरकार या शिक्षा विभाग मानता है कि इसमें भ्रष्टाचार की बू आ रही है। वरना दोनेा में इतनी भिन्नता नहीं होती।