हुकूमत एक्सप्रेस
मुरादाबाद। आयकर विभाग को महानगर के लोग इसके लिए बधाई दे रहे हैं कि उन्होनें कांठ रोड स्थित एक निजी अस्पताल पर छापा मारकर करोड़ों की नकदी व जेवरात बरामद किये। महानगर के लोगों का कहना है कि ऐसा किसी एक निजी अस्पताल के साथ नहीं है। महानगर में अच्छे चिकित्सकों की फीस 400 से लेकर 1500 रूपये तक है। यानि एक बार अगर वह किसी मरीज को देखते हैं तो इतनी फीस ले लेते है और इतना ही नहीं चिकित्सकों ने अपने यहां पर ही मेडिकल स्टेार भी खोल रखे है जो दवाई वह लिखते हैं ज्यादातर दवाइयां उन्हीं मेडिकल स्टोरों पर मिलती है। क्योंकि महानगर के लोगों का आरोप है कि वह ऐसा इसलिए करते हैं कि उनका एक निश्चित कम्पनी के प्रोडक्टो के लिए मौखिक अनुबंध हो जाता है कि वह ही उनकी दवाइयां लिखेगे और अमूक स्थान पर ही दवाई बिकेगी। इसमें भारी कमीशन तो मिलता ही है साथ ही चिकित्सको को विदेशों तक के टूर कराये जाते हैं।
महानगर के अधिकतर चिकित्सक जो किसी भी चीज की जांच कराते हैं उसकी जगह भी निश्चित होती है कि अगर अल्ट्रासाउंड होना है तो अमूक स्थान पर होगा उसी की मान्य है क्योंकि वही सही कर रहा है। और अगर अन्य कोई जांच की जानी है तो उसके लिए भी स्थान व लैबे भी निश्चित है। इसके बदले मंे भी उन्हें 20 से 30 प्रतिशत कमीशन मिलने का आरोप लगाया जाता है।
अगर आयकर विभाग ने महानगर के इन बड़े बड़े चिकित्सकों जिनके यहां रोगियों की लाईन लगी रहती है पर सही प्रकार जांच की तो अरबो रूपये की सम्पत्ति हाथ आयेगी और चिकित्सकों केा भी लगेगा कि हम जो इस प्रकार से कमाइयां कर रहे हैं उसे करना बंद कर दें और फीस भी कम कर दें तो हमारी आमदनी में फर्क नहीं पड़ेगा और गरीब रोगियों की भी दुआयें मिलेगी। क्योंकि बहुत से रोगी तो इसी कारण से इन चिकित्सकों के पास अपने आपको दिखाने नहीं जा पाते क्योंकि वह इनकी फीस भरने के काबिल नहीं होते। इसलिए वह अधिकतर सरकारी अस्पताल का रास्ता पकड़ते है। हालांकि सरकारी अस्पताल से भी रोगियों को प्राइवेट में जाने के लिए मजबूर कर दिया जाता है। ऐसा महानगर के लोगों का आरोप है।
यदि आयकर विभाग ने ईमानदारी से चिकित्सकों और निजी अस्पतालों का वास्तव में सर्वे किया तो सरकार को भी लाभ होगा और उनके कारण से चिकित्सक भी सोचने को मजबूर होंगे और जिसके कारण से गरीब रोगियों को भी फायदा होगा।
महानगर वासियो का एक आरोप यह भी है कि जब चिकित्सक रोगी को पर्चा देता है तो उस पर फीस अंकित नहीं करता है इससे महानगर वासियो को संशय पैदा होता है कि चिकित्सक फीस कुछ ले रहा है और आयकर विभाग को कुछ दिखा रहा है और न ही पर्चे पर कोई ऐसा क्रमांक होता है जिससे यह ज्ञात हो सके कि उस चिकित्सक ने उस दिन कितने रोगी देखे।