‘श्रीमती जया अमिताभ बच्चन’ सुनकर भड़क गईं सपा सांसद, उप-सभापति को ही सुना दिया

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‘श्रीमती जया अमिताभ बच्चन’ सुनकर भड़क गईं सपा सांसद, उप-सभापति को ही सुना दिया
जया बच्चन ने कोचिंग सेंटर हादसे को लेकर राजनीति नहीं करने की अपील करते हुए कहा कि पीड़ितों के परिवारों के दुख के बारे में कुछ भी नहीं कहना बेहद क्षुब्ध करने वाला राज्यसभा में सोमवार को समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन उप-सभापति हरिवंश पर भड़क गईं। हरिवंश ने चर्चा में शामिल होने के लिए जया का नाम पुकारते हुए कहा ‘‘श्रीमती जया अमिताभ बच्चन’’, तब सपा सदस्य ने कहा ‘‘सिर्फ जया बच्चन बोल देते, तो काफी था।’’ तब उप-सभापति ने कहा ‘‘यहां आपका पूरा नाम लिखा है।’’ जया बच्चन ने कहा ‘‘यह जो नया चलन है, उसके अनुसार, महिलाएं अपने पति के नाम से जानी जाएंगी, मानो उनकी अपनी कोई उपलब्धि नहीं है।’’ तब हरिवंश ने कहा ‘‘आपकी बहुत उपलब्धि है।’’
जया बच्चन ने कोचिंग सेंटर हादसे को लेकर राजनीति नहीं करने की अपील करते हुए कहा कि पीड़ितों के परिवारों के दुख के बारे में कुछ भी नहीं कहना बेहद क्षुब्ध करने वाला है। प्राधिकारियों की कथित लापरवाही के कारण हाल ही में दिल्ली के एक कोचिंग संस्थान में छात्र:छात्रा की मृत्यु की दुखद घटना पर राज्यसभा में हुई अल्पकालिक चर्चा में हिस्सा ले रहीं जया बच्चन ने कहा ‘‘बच्चों के परिवारों के बारे में किसी ने कुछ नहीं कहा। उन पर क्या गुजरी होगी! तीन युवा बच्चे चले गए।’’ कोचिंग सेंटर हादसे पर राजनीति बंद करें
उन्होंने कहा कि पीड़ितों के परिवारों के दुख के बारे में कुछ भी नहीं कहना बेहद क्षुब्ध करने वाला है। उन्होंने कहा ‘‘मैं एक कलाकार हूं, मैं बॉडी लैंग्वेज और चेहरे के भाव समझती हूं। सब लोग अपनी-अपनी राजनीति कर रहे हैं। इस मुद्दे पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए।’’ जया ने कहा ‘‘नगर निगम का क्या मतलब होता है। जब मैं यहां शपथ लेने आई तब (मुंबई में) मेरा घर बेहाल था। वहां घुटने तक पानी भरा था। इस एजेंसी का काम इतना बदतर होता है कि मत पूछिये। इसके लिए हम जिम्मेदार हैं क्योंकि हम शिकायत नहीं करते हैं और न ही इस पर कार्रवाई होती है। जिम्मेदार प्रभारियों की क्या जिम्मेदारी होती है ? और यह सिलसिला चलते जाता है।’’ उन्होंने प्रख्यात कवि और अपने श्वसुर हरिवंश राय बच्चन की एक कविता की ये पंक्तियां पढ़ीं, ‘‘भार उठाते सब अपने-अपने बल, संवेदना प्रथा है केवल, अपने सुख-दुख के बोझ को सबको अलग-अलग ढोना है। साथी हमें अलग होना है।’’