मतदान में महिलाओं की बढ़ती भूमिका, वोट प्रतिशत बढ़ाने में सरकारी योजनाओं का कितना योगदान

21
Share

मतदान में महिलाओं की बढ़ती भूमिका, वोट प्रतिशत बढ़ाने में सरकारी योजनाओं का कितना योगदान
लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है। इस बार के चुनाव में भी महिलाओं का अहम रोल रहने वाला है। हाल के हुए चुनावों में जिस तरह से महिलाओं का वोट प्रतिशत लगातार बढ़ा है, उसे ध्यान में रखते हुए सरकारे में भी अब महिलाओं पर केंद्रित योजनाओं को लागू कर रही हैं।
नई दिल्ली: पहले के मुकाबले अब देश की राजनीति में महिलाओं की भागीदारी काफी तेजी से बढ़ रही है। आज मतदान के दौरान महिलाएं भी पुरुषों की तरह ही घर से निकल कर बूथ तक जा रही हैं और वोट कर रही हैं। पिछले चुनावों के वोट प्रतिशत को देखा जाए तो यह स्थिति और भी स्पष्ट होती है। महिलाओं का वोट प्रतिशत बढ़ाने में साफ तौर पर सरकारी योजनाएं भी अहम किरदार निभा रही हैं। विभिन्न राज्यों की सरकारें हों या केंद्र की सरकार, सभी के द्वारा महिला वोटरों के लिए नई-नई योजनाएं लाई जा रही हैं, जिस वजह से भी महिलाओं की राजनीति में भागीदारी लगातार बढ़ रही है।
जाहिर सी बात है, राजनीतिक दलों के द्वारा घोषित योजनाओं में महिलाओं का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी की केजरीवाल सरकार की बात करें तो हाल ही में लाए गए दिल्ली के बजट में महिलाओं के लिए ‘महिला सम्मान योजना’ की घोषणा की गई। इसके तहत दिल्ली में 18 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को हर महीने 1,000 रुपये देने की घोषणा की गई। दिल्ली सरकार इसे महिलाओं के लिए बड़ा सम्मान बता रही है। इसके अलावा दिल्ली में महिलाओं के लिए बसों की यात्रा भी मुफ्त कर दी गई है।
इसी तरह अगर केंद्र सरकार की बात करें तो भाजपा ने हाल ही में ‘लखपति दीदी’ कार्यक्रम शुरू किया। इस कार्यक्रम का लक्ष्य हाल के वर्षों में लागू की गई विभिन्न महिला-केंद्रित योजनाओं को बढ़ावा देते हुए महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना है। वहीं भाजपा ने राजधानी में दो महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, जिसका पूरा उद्देश्य महिला वोटरों को आकर्षित करना है। इसके अलावा केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना, सुरक्षित मातृत्व आश्वासन सुमन योजना, फ्री सिलाई मशीन योजना, सुकन्या समृद्धि योजना भी केंद्र सरकार के द्वारा महिलाओं के लिए शुरू की गई अहम योजनाओं में शामिल हैं।
कुछ आंकड़ों पर नजर डालें तो राजधानी दिल्ली के कुल मतदाताओं में महिलाओं की संख्या 46% से थोड़ी सी कम है। लेकिन अगर पिछले कुछ चुनावों पर नजर डालें तो उनका मतदान प्रतिशत पुरुषों के मतदान प्रतिशत से ज्यादा कम नहीं है। लोकसभा चुनाव 2019 में 60.1% महिलाएं वोट डालने के लिए निकलीं, जबकि 60.8% पुरुषों ने मतदान किया। इसमें तीन निर्वाचन क्षेत्रों नई दिल्ली, पश्चिम दिल्ली और दक्षिण दिल्ली में पुरुषों के मुकाबले अधिक महिलाएं वोट डालने के लिए बाहर निकलीं। इसी तरह 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत का अंतर और भी कम देखा गया। इस चुनाव में जहां 62.6% पुरुष मतदाताओं ने वोट डाला, वहीं 62.5% महिलाओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। इसमें भी 70 में से 25 विधानसभा क्षेत्र ऐसे रहे जहां महिला मतदाताओं की संख्या पुरुष मतदाताओं से अधिक थी। इनमें बुराड़ी, संगम विहार, बदरपुर और तुगलकाबाद जैसे क्षेत्र शामिल हैं। पिछले चुनावों में महिलाओं को वोट प्रतिशत
लोकसभा चुनाव 2014 की बात करें तो पुरुष और महिला मतदाताओं मतदान का अंतर सिर्फ 1.5 प्रतिशत दर्ज किया गया था, जो 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में घटकर 1.1 प्रतिशत रह गया। 2019 के लोकसभा चुनावों में ये और भी कम होकर 0.7 प्रतिशत ही रह गया। वहीं 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में महिला और पुरुष मतदाताओं के बीच वोट प्रतिशत का अंतर सिर्फ 0.1 प्रतिशत रह गया। महिला और पुरुष मतदाताओं के बीच मतदान प्रतिशत का अंतर जिस तरह से लगातार कम हो रहा है, इससे जाहिर है कि महिला मतदाता भी अब अपने वोट के प्रति जागरूक हो रही हैं और इसका असर राजनीतिक दलों पर भी उनके द्वारा महिलाओं के लिए लाई जाने वाली योजनाओं के रूप में देखा जा रहा है।

LEAVE A REPLY