भारतीय तटरक्षक के बेड़े में शामिल होंगे 2 आधुनिक डोर्नियर विमान, HAL से हुआ 458.87 करोड़ रुपए में सौदा

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नई दिल्ली: रक्षा मंत्रालय ने 7 जुलाई को डोर्नियर विमानों की खरीद के लिए हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ एक अनुबंध किया है। एसोसिएटेड इंजीनियरिंग सपोर्ट पैकेज के साथ भारतीय तटरक्षक (आईसीजी) के लिए डोर्नियर विमानों की यह खरीद की जा रही है। शुक्रवार को नई दिल्ली में किए गए इस अनुबंध के मुताबिक इन 2 विमानों की खरीद पर 458.87 करोड़ रूपए की कुल लागत आएगी।

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि यह विमान कई उन्नत उपकरण जैसे ग्लास कॉकपिट, समुद्री गश्ती रडार, इलेक्ट्रो-ऑप्टिक इंफ्रा-रेड डिवाइस, मिशन प्रबंधन प्रणाली आदि से सुसज्जित होंगे। इसके जुड़ने से आईसीजी की जिम्मेदारियों के तहत आने वाले समुद्री क्षेत्रों की हवाई निगरानी क्षमता को और बढ़ावा मिलेगा।

रक्षा मंत्रालय ने बताया कि डोर्नियर विमानों का कानपुर के एचएएल (परिवहन विमान प्रभाग) में स्वदेशी रूप से विनिर्माण किया जाता है और इससे सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल के अनुरूप रक्षा में आत्मनिर्भरता अर्जित करने में उल्लेखनीय योगदान प्राप्त होगा।

गौरतलब है कि इससे पहले इसी साल 10 मार्च को भारतीय वायु सेना के लिए छह डोर्नियर-228 विमानों की खरीद का निर्णय भी लिया जा चुका है। भारतीय वायु सेना के लिए खरीदे जा रहे इन विमानों की लागत लगभग 667 करोड़ रुपए है। रक्षा मंत्रालय ने 10 मार्च को 667 करोड़ रुपये की लागत वाले इस रक्षा सौदे को लेकर एक महत्वपूर्ण समझौता किया था। रक्षा मंत्रालय के अनुसार डोर्नियर-228 विमानों की खरीद भी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) से की जाएगी।

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि वायु सेना के लिए खरीदे जा रहे विमानों का उपयोग भारतीय वायु सेना द्वारा रूट ट्रांसपोर्ट और संचार संबंधित सैन्य कार्य के लिए किया जाता रहा है। इसके साथ ही इन विमानों का उपयोग भारतीय वायुसेना के परिवहन पायलटों के प्रशिक्षण के लिए भी किया गया है।

छह विमानों की वर्तमान खेप एक उन्नत ईंधन-कुशल इंजन के साथ पांच ब्लेड वाले समग्र प्रोपेलर के साथ खरीदी जाएगी। यह विमान उत्तर पूर्व के अर्ध-तैयार, लघु रनवे और भारत की द्वीप श्रृंखलाओं से छोटी दूरी के संचालन के लिए आदर्श रूप से अनुकूल है।

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि इन छह विमानों के शामिल होने से दूर-दराज के इलाकों में भारतीय वायुसेना की परिचालन क्षमता में और इजाफा होगा।

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