एजेंसी समाचार
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में सर्वे के दौरान मिली शिवलिंगनुमा आकृति की कार्बन डेटिंग व साइंटिफिक सर्वे की मांग में दाखिल याचिका स्वीकार कर ली है। आर्कोलॉजिकल सर्वे आॅफ इंडिया (एएसआई) को बिना क्षति पहुंचाए शिवलिंग की कार्बन डेटिंग करने का आदेश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्र ने लक्ष्मी देवी व अन्य की याचिका पर दिया है।
वाराणसी की अधिनस्थ अदालत ने सुप्रीम कोर्ट की यथास्थिति कायम रखने के आदेश की वजह से कार्बन डेटिंग कराने से इन्कार कर दिया था, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने वाराणसी जिला अदालत के आदेश को रद्द कर दिया है। याचियों की ओर से अधिवक्ता हरिशंकर जैन और विष्णु शंकर जैन ने पक्ष रखा। जबकि, ज्ञानवापी मस्जिद की तरफ से एसएफए नकवी ने बहस की। सरकार का पक्ष अपर महाधिवक्ता एमसी चतुवेर्दी व मुख्य स्थायी अधिवक्ता बिपिन बिहारी पांडेय, काशी विश्वनाथ की तरफ से विनीत संकल्प उपस्थित रहे।
कोर्ट ने भारत सरकार के अधिवक्ता मनोज कुमार सिंह से पूछा था कि क्या शिवलिंग को नुकसान पहुंचाए बगैर कार्बन डेटिंग की जा सकती है। क्योंकि, इस जांच से शिवलिंग की आयु का पता चलेगा। एएसआई ने कहा था कि बिना क्षति पहुंचाए शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की जा सकती है। इस पर कोर्ट ने एएसआई से इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा था। एएसआई ने शुक्रवार को 52 पन्ने की रिपोर्ट प्रस्तुत की।
जिसमें आईआईटी रूड़की, कानपुर, लखनऊ स्थित बीरबल साहनी तकनीकी संस्थान सहित कुल चार संस्थानों की रिपोर्ट प्रस्तुत की। इन संस्थानों के विशेषज्ञों के अनुसार शिवलिंगनुमा आकृति की जगह उससे सटे पत्थरों के कुछ टुकड़ों को लेकर इसकी जांच की जा सकती है। इसके अलावा साइट सर्वे के दौरान जांच के और भी तरीके अपनाए जा सकते हैं, जिससे कथित शिवलिंग को क्षति नहीं होगी।
इसके पहले मामले में ज्ञानवापी परिसर की 16 मई 22 की कमीशन कार्यवाही के दौरान मिली शिवलिंगनुमा आकृति का साइंटिफिक सर्वे एएसआई से कराए जाने की मांग को लेकर दाखिल वाद जिला अदालत वाराणसी ने यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया है। मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट कर रही है। ऐसे में सिविल कोर्ट को आदेश पारित करने का अधिकार नहीं है।
जिला जज वाराणसी के 14 अक्तूबर 2022 को कार्बन डेटिंग की मांग वाली अर्जी खारिज करने को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक की ओर से यह सिविल रिवीजन दाखिल की गई है। जिसे कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस के बाद स्वीकार कर लिया है और शिवलिंगनुमा आकृति की आयु का पता लगाने के लिए एएसआई को जांच कराने का आदेश दिया है।