नई दिल्ली. बनारस की ज्ञानवापी मस्जिद व मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि केस को लेकर जारी कानूनी लड़ाई के बीच सपा प्रमुख व यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव के बयान से सियासत गर्मा गई है। यादव के इस बयान कि ‘कहीं भी पीपल पेड़ के नीचे पत्थर रख दो, लाल झंडा रख दो, मंदिर बन गया’ पर भाजपा ने कड़ी आपत्ति जताई है।
भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि अखिलेश यादव ने विवादित बातें कह कर हिंदू आस्था का मखौल उड़ाया है। भाजपा नेता ने कहा कि यह वही अखिलेश यादव है, जिनकी राजनीति निर्दोष रामभक्तों पर गोलियां चलवाने वाली पार्टी पर आधारित है। अखिलेश ने हिंदू साधु संतों को चिलमची भी कहा था। उनकी विचारधारा कांग्रेस से मेल खाती है, जिसने भगवान राम का अस्तित्व मानने से ही इनकार कर दिया था।
पूनावाला ने कहा कि कांग्रेस के साथ मिलकर सपा 70 साल तक राम मंदिर का विरोध करते रही। ये वोट बैंक की राजनीति के लिए ऐसे बयान देते रहते हैं। कांग्रेस ने रामसेतु को नष्ट करने की साजिश रची थी। ये अपने वोट बैंक को बचाने के लिए किसी भी हद तक जाकर हिंदुओं का अपमान करते उनका मखौल उड़ाते हैं। उनमें हिंदुओं के प्रति नफरत है। उन्हें पता होना चाहिए कि प्राण प्रतिष्ठा के बाद मंदिरों की स्थापना की जाती है।
अखिलेश ने अयोध्या में यह कहा था
सपा प्रमुख यादव ने अयोध्या में हिन्दू देवी-देवताओं को लेकर बयान दिया था। ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर 1991 में संसद द्वारा पारित कानून का हवाला देते और सर्वे रिपोर्ट लीक होने पर सवाल उठाते हुए यादव ने कहा था कि हमारे हिंदू धर्म में कहीं भी पत्थर रख दो, एक लाल झंडा रख दो पीपल के पेड़ के नीचे और मंदिर बन गया।
सर्वे रिपोर्ट बाहर कैसे आई
अखिलेश यादव ने ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिलने के दावे को लेकर कहा कि एक समय ऐसा था कि रात के अंधेरे में मूर्तियां रख दी गई थी। भाजपा कुछ भी कर सकती है। कुछ भी करा सकती है। ज्ञानवापी मस्जिद कोर्ट का मामला है। सबसे बड़ी बात है कि जिसकी जिम्मेदारी थी सर्वे करने की, आखिरकार वह रिपोर्ट बाहर कैसे आ गई।