गंगा का जलस्तर कम होने से नदी का दायरा कम होने लगा है। बीच और घाटों पर नहाने वाले पर्यटक स्नान के दौरान अब रेलिंग से बाहर या किनारों से काफी आगे तक जा रहे हैं। यहीं नहीं पर्यटक बच्चों को भी काफी आगे तक साथ ले जाते हैं। ऐसे में पर्यटक जलस्तर कम होने के भ्रम में अपने साथ बच्चों की जान को भी जोखिम में डाल रहे हैं।
गर्मियों में गंगा का जलस्तर कम होने से नदी पक्के घाटों के किनारों से काफी पीछे चली जाती है। रेलिंग के दायरे में टखने भर पानी के चलते पर्यटक स्नान नहीं कर पाते है। वहीं प्राकृतिक गंगा तटों पर किनारों में छिछला पानी होने से पर्यटक स्नान नहीं कर पाते है। गर्मी से राहत पाने के लिए पर्यटक नदी में आगे बढ़ते हैं। पर्यटकों का एहसास ही नहीं होता है कि वह नदी में काफी आगे तक आ गए हैं। हद तब हो जाती है पर्यटक बच्चों को साथ में ले जाते हैं।
गौरतलब है कि गर्मियों में पानी का जलस्तर कम रहता है। इसके बावजूद डूबने के सबसे अधिक मामले गर्मियों में ही सामने आते हैं। इस साल योगनगरी में अब तक 25 पर्यटक गंगा में बह चुके हैं। कुछ ही लाश बरामद हुई हैं तो कई आज भी लापता हैं। त्रिवेणी घाट, नाव घाट, पूर्णानंद घाट, भरत घाट, शत्रुघ्न घाट, वानप्रस्थ घाट, लक्ष्मीनारायण घाट, गीता भवन घाट, गंगा लाइन, नीम बीच, गोवा बीच आदि घाटों पर लोग जलस्तर कम होने भ्रम में अपनी और अपनों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। मुनि की रेती थाना प्रभारी रितेश शाह और लक्ष्मणझूला थाना प्रभारी संतोष सिंह कुंवर ने बताया कि घाटों पर चेतावनी फ्लैक्स लगाने के साथ पत्थरों पर स्लोगन भी लिखवाए जा रहे हैं। पर्यटकों के घाटों के किनारे ही नहाने के लिए जागरूक किया जा रहा है। संवेदनशील घाटों पर नहाने वालों पर कार्रवाई भी की जा रही है