यूपी: इत्र कारोबारी पीयूष की जमानत अर्जी पर हुई सुनवाई, फैसला सुरक्षित

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कानपुर. इत्र कारोबारी पीयूष जैन की जमानत अर्जी पर शुक्रवार को प्रभारी विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में सुनवाई हुई। डायरेक्टर जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलीजेंस (डीजीजीआई) की ओर से पीयूष को गंभीर आर्थिक अपराधी बताते हुए जमानत खारिज करने का तर्क रखा गया, वहीं पीयूष के अधिवक्ता की ओर से आरोपों को गलत बताकर जमानत दिए जाने की मांग की गई।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। पीयूष 27 दिसंबर से जेल में है। पिछले दिनों डीजीजीआई की ओर से चार्जशीट दाखिल करने के बाद पीयूष की ओर से जमानत के लिए निचली अदालत में अर्जी दी गई थी।
डीजीजीआई की ओर से विशेष लोक अभियोजक अंबरीष टंडन ने तर्क रखा कि पीयूष के आनंदपुरी और कन्नौज स्थित घरों से कुल 196 करोड़ 57 लाख 2 हजार 539 रुपये बरामद हुए हैं। रकम उसकी होने की बात पीयूष ने खुद स्वीकारी है। यह रुपया उसने तीन फर्मों के जरिये कमाया है।
तीन-चार सालों से वह बिना टैक्स जमा किए व्यापार करता रहा। उसके पास से 23 किलो सोना और छह ड्रम चंदन का तेल भी बरामद हुआ था। इस संबंध में डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलीजेंस (डीआरआई) जांच कर रही है। पीयूष का अपराध गैर जमानतीय है।
पीयूष ने जांच में सहयोग नहीं किया। माल जिन लोगों को बेचा है, उनके नामों का खुलासा नहीं किया। उसके व्यापार में साझीदार भाई भी कई बार समन भेजने के बाद बयान दर्ज कराने नहीं पहुंचा। जेल से छूटने पर पीयूष जांच प्रभावित कर सकता है।
वहीं पीयूष के अधिवक्ता चिन्मय पाठक ने तर्क रखा कि दो महीनों की विवेचना के बाद भी जीएसटी विभाग नहीं बता पा रहा कि पीयूष पर कितने रुपये की कर चोरी का आरोप है। उसने क्या अपराध किया है। डीजीजीआई सिर्फ बरामद रुपयों के अलावा कोई ठोस सबूत नहीं दे सकी है।
चार्जशीट में कोई स्वतंत्र गवाह नहीं है। पूरा केस झूठा और काल्पनिक है। पीयूष टैक्स देने को भी तैयार है। जेल में बंद रहने से व्यापार प्रभावित हो रहा है, जिससे सरकार को भी टैक्स का नुकसान उठाना पड़ रहा है। पीयूष को जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए।

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