यूपी में दूसरे चरण का चुनाव: कम या ज्यादा मतदान से किसे होगा फायदा और किसे नुकसान

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एजेंसी समाचार
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की 55 विधानसभा सीटों पर दूसरे चरण की वोटिंग हुई। इस बीच मतदान प्रतिशत को लेकर सियासी गलियारे में चर्चा शुरू हो गई है। ये चर्चा इसलिए भी हो रही क्योंकि दो दिन पहले ही योगी सरकार में गन्ना मंत्री सुरेश राणा ने जिला निर्वाचन अधिकारी को पत्र लिखकर मुजफ्फरनगर की अपनी विधानसभा सीट थानाभवन के 40 बूथों पर फिर से मतदान कराने ंकी मांग की थी। हालांकि, जिलाधिकारी ने उनकी ये मांग ठुकरा दी है। राणा जिन 40 बूथों पर वह दोबारा मतदान चाहते हैं, वो मुस्लिम बहुल्य इलाकों में हैं। इन बूथों पर इस बार 70 से 90 फीसदी वोट पड़े हैं। वहीं, दूसरी ओर हिंदू बहुल्य बूथों पर पिछली बार के मुकाबले इस बार मतदान में गिरावट हुई है। ये तो पहले चरण की बात हुई। अब दूसरे चरण की बात कर लेते हैं। इस चरण में नौ जिलों की करीब 40 सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम वोटर्स निर्णायक हैं। इसलिए हर कोई ये जानना चाहता है कि इन इलाकों में मतदान घटने या बढ़ने से किसे फायदा होगा?
इस बार पहले चरण में 62.54% मतदान हुआ है। पिछली बार 63.10% लोगों ने वोट डाला था। इस बार कई मुस्लिम बहुल्य सीटों पर मतदान में बढ़ोतरी दर्ज हुई है। इनमें शामली जिले की कैराना सीट, अलीगढ़ की सदर सीट, बुलंदशहर की स्याना और सिकंदराबाद सीट, मेरठ जैसी सीटें शामिल हैं। कुछ सीटों पर ओवरआॅल मतदान की संख्या तो घट गई है, लेकिन मुस्लिम वोटर्स के बूथ पर मतदान काफी अधिक हुए हैं। मुजफ्फरनगर की थानाभवन सीट इसका उदाहरण है। यहीं से योगी सरकार के मंत्री सुरेश राणा प्रत्याशी हैं और उन्होंने मुस्लिम बहुल्य वाले 40 बूथों पर फिर से मतदान कराने की मांग की थी।

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