उत्तराखंड के बेरोजगारों का सरकार के खिलाफ हल्ला-बोल, सचिवालय के बाहर धरने पर डटे

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देहरादून। फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा के दौरान नकल गिरोह के सामने आने के बाद से बेरोजगार आक्रोशित हैं। मंगलवार को प्रदेशभर से जुटे बेरोजगारों ने सचिवालय के समक्ष राज्य सरकार के खिलाफ जमकर हल्ला बोला। इस दौरान उन्होंने ऐलान किया कि जब तक भर्ती परीक्षा को रद्द कर सौ दिन के भीतर दोबारा परीक्षा आयोजित करने की मुख्यमंत्री घोषणा नहीं करते वह सचिवालय के बाहर ही धरने पर डटे रहेंगे।
उत्तराखंड बेरोजगार संघ के आह्वान पर प्रदेशभर से आए युवा बेरोजगार सुबह 10 बजे से परेड ग्राउंड में जुटने शुरू हो गए। करीब 12 बजे युवाओं की भारी भीड़ जुट गई। इसके बाद सरकार विरोधी नारे लगाते हुए बेरोजगारों ने सचिवालय के लिए कूच किया। बेरोजगार संघ के नेताओं ने कहा कि यह पूरी तरह गैर राजनीतिक मंच है। सचिवालय से कुछ दूरी पर सुभाष रोड पर पुलिस की ओर से लगाई गई बैरिकेडिंग पर बेरोजगारों को रोक दिया गया। बेरोजगारों ने भी शांतिपूर्ण ढंग से यहां बैठकर धरना शुरू कर दिया।
उत्तराखंड बेरोजगार महासंघ के अध्यक्ष दीपक डोभाल ने कहा कि शाम करीब छह बजे मुख्यमंत्री के ओएसडी ने उनसे मुलाकात कर कोई सर्वमान्य हल निकलने का आश्वासन दिया। खबर लिखे जाने तक बेरोजगारों ने सुभाष रोड पर एक लाइन को यातायात के लिए खोल दिया, जबकि एक तरफ वह धरने पर डटे हैं। इस मौके पर बेरोजगार संजय कुमार, विनोद बिष्ट, सीमा कुमारी, जयवंत सिंह, विनय शर्मा, सूरज नौटियाल, प्रदीप रावत, जीतेंद्र नेगी, भूपेंद्र सिंह आदि मौजूद रहे।
बागेश्वर से आए प्रशिक्षिण बेरोजगार पूरण चंद पंत ने बेरोजगारों को संबोधित करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जुलाई 2019 में प्रदेश के विभिन्न विभागों में 18 हजार पदों पर भर्ती की बात की थी, लेकिन अभी तक दो हजार पदों पर भी भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं हुई। उन्होंने कहा कि यदि मुख्यमंत्री बेरोजगारों के प्रति वास्तव में चिंतित हैं तो वह 18 हजार रिक्त पदों का कैलेंडर जारी कर दें ताकि प्रदेश के बेरोजगारों को तैयारी करने का मौका मिल सके। उन्होंने कहा कि सरकार नहीं मानी तो वह परेड ग्राउंड में भूख हड़ताल शुरू कर देंगे।
उत्तराखंड बेरोजगार महासंघ और बेरोजगार संघ के नेताओं ने कहा कि अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की परीक्षा में हुई गड़बड़ी को लेकर पिछले ढ़ाई साल में तीन बार सचिवालय कूच करके यहां पहुंचे लेकिन सरकार ने उनकी बात सुनने के बजाए उन्हें यहां से खदेड़ दिया, लेकिन इस बार वह तभी यहां से धरना समाप्त करेंगे जब सरकार की ओर से कोई आश्वासन उन्हें मिलेगा।

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