विकास प्राधिकरण की सुस्ती से रिहायशी इलाके बनते जा रहे कामर्शियल

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हुकूमत एक्सप्रेस
मुरादाबाद। अवैध निर्माण व नियम विरूद्ध निर्माण को सील करने की कार्यवाही आए दिन प्राधिकरण करता रहता है मगर प्राधिकरण की बगल में ही कांठ रोड पर नवीन नगर, दीनदयाल नगर का इलाका जो कि रिहायशी इलाका है अब धीरे-धीरे पूरी तरह कामर्शियल क्षेत्र बन गया है। विकास प्राधिकरण की सुस्ती के चलते आवासीय कालोनी में व्यावसायिक प्रतिष्ठान कुकुरमुत्तो की तरह खुलते जा रहे है। नियम कानूनों को ताक पर रखकर नवीन नगर, दीनदयाल नगर का क्षेत्र पूरी तरह व्यावसायिक क्षेत्र में तब्दील होता जा रहा है। पैसों के लालच में यहां के निवासी बड़ी बड़ी कोठियों में दुकानें निकालकर उन्हें किराये पर उठा रहे है। इन दुकानो से जहां क्षेत्र में अतिक्रमण बढ़ रहा है तो वहीं एमडीए के नियम कानूनों की भी धज्जियां उड़ रही है। इन दुकानदारों ने रोड घेरकर बुरी तरह अतिक्रमण कर रखा है जिससे यहां से गुजरने वाले लोगों व स्कूल बसों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। ताज्जुब की बात है कि एमडीए की जिन उपाध्यक्ष कनक लता त्रिपाठी को अवैध निर्माण के लिए सख्त एक्शन लिये जाने के रूप में जाना जाता है उनका अपने ही कार्यालय के बगल में आवासीय कालोनी का इस तरह व्यावसायिक कालोनी बनते हुए चुपचाप देखते रहना कई सवाल खड़े कर रहा है। कालोनी के लोग दबी जुबान में कह रहे हैं कि आखिर क्या वजह है जो नवीन नगर, दीनदयाल नगर का रिहायशी इलाका कामर्शियल इलाके में तब्दील हो गया और एमडीए की सख्त कहलायी जाने वाले उपाध्यक्ष कनक लता त्रिपाठी मौनधारण किये हुए है।
यहां बता दें कि पीएसी तिराहा से लेकर मानसरोवर काॅलेज तक का पूरा रोड जबरदस्त अतिक्रमण से कराह रहा है और यह सब एमडीए की लापरवाही का नतीजा है। शायद ही इस रोड का कोई ऐसा मकान हो जिसमें दुकान न निकाली गई हो या फिर लोग अपने घरो के आगे 200-200 रूपये लेकर सब्जियों, फास्ट फूड व अन्य खानपान के ठेले व स्टाल न लगवा रहे हों। नवीन नगर का यह पूरा इलाका 100 प्रतिशत कामर्शियल इलाके में तब्दील हो गया है जबकि एमडीए की फाइलों में यह पूरा रिहायशी इलाका है और यहां किसी भी तरह का व्यावसायिक प्रतिष्ठान खोलने की मनाही है जब तक एमडीए से अनुमति न ली जाये। एमडीए सोता रहा और कुछ ही सालो में नवीन नगर का पूरा इलाका कामर्शियल कालोनी में तब्दील हो गया।अब इसकी आंच धीरे धीरे दीनदयाल नगर तक फैल रही है और आने वाले सालो में वेव मल्टीप्लेक्स तक का यह रोड भी पूरी तरह कामर्शियल होकर अतिक्रमण से घिरा नजर आये तो कोई ताज्जुब न होगा।
एमडीए उपाध्यक्ष को इसे गम्भीरता से लेने की आवश्यकता है क्योंकि एमडीए द्वारा बसाई गई यह कालोनियां लोगों के आराम से रहने के लिए उपलब्ध कराई गईं हैं न कि इस तरह क्षेत्र को व्यावसायिक बनाकर धन कमाने के लिए। कालोनी के लोगों ने मकानो में दुकानें निकालकर दुकानदारो से प्रति माह मौटी रकम तो वसूल ही रहे हैं साथ ही इनसे लाखों रूपये का एडवांस भी ले रखा है। इसी तरह नवीन नगर व दीनदयाल नगर में अब लोग यही फंडा अपनाने लगे हैं और अपने मकानों में दुकानें किराये पर उठाने लगे है ताकि लाखों का एडवांस तो मिले ही। हर महीने हजारों रूपये की मोटी इनकम भी होती रहे। कई मकान स्वामियों ने तो अपने मकानों में लगाई पूरी लागत दुकानों के एडवांस व किराये से वसूल कर ली है। एमडीए इसी तरह सोता रहेगा और धीरे-धीरे कांठ रोड पर एमडीए द्वारा बसाई गई हर कालोनी कामर्शियल बनती चली जायेगी और ही मकान में दुकान नजर आयेगी। धीरे धीरे पूरा इलाका नवीन नगर बन जायेगा। एमडीए ने जल्द ही नियम कानूनो की धज्जियां उड़ाने वालों पर नकेल नहीं कसी और आवासीय कालोनियों को कामर्शियल बनने से नहीं रोका तो शहर के घनी आबादी वाले और जबरदस्त अतिक्रमण से कराह रहे असालतपुरा और एमडीए की कालोनियों में कोई फर्क नहीं रह जायेगा।

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