काश रोज प्रदेश के मुख्यमंत्री मुरादाबाद आते रहें तो कम से कम कुछ तो मुरादाबाद की दशा सुधर ही जायेगी

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मुरादाबाद। प्रदेश के मुख्यमंत्री मुरादाबाद आये। जैसे ही उनके आने की सूचना प्रशासन को मिली तो सारे विभागों में हड़कम्प मच गया। चाहे वह अस्पताल हो या फिर सिविल लाइंस क्षेत्र की सड़क या फिर शिक्षा विभाग।
मुरादाबाद के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी केा ऐसा महसूस हुआ कि यदि मुख्यमंत्री ने अपने सुबह 8 से 9 के खाली समय के दौरान अगर किसी बेसिक स्कूल को देखने का कार्यक्रम निर्धारित कर लिया तो उनका क्या होगा। इसलिए उन्होनें अपने अधीनस्थ अधिकारियों को बुलाकर इस पर चर्चा की कि यदि मुख्यमंत्री किसी बेसिक स्कूल को देखने की इच्छा प्रकट करें तो उन्हें कौन सा स्कूल दिखाया जाये। इसके लिए सर्किट हाउस के नजदीक के तीन बेसिक स्कूल चुने गये। एक मझोला में, दूसरा मंगूपुरा में और तीसरा सर्किट हाउस के निकट कांशीराम नगर में।
सबसे पहले मझोला का स्कूल देखा गया तो उसकी हालत को देखकर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने कहा कि इसको दिखाना सही नहीं रहेगा मंगूपुरा का स्कूल देखते है। जब मंगूपुरा स्कूल पर पहुंचे तो उसकी दशा और भी दयनीय थी तो उसको भी दिखाने में ठीक नहीं लगा। तीसरा स्कूल था कांशीराम नगर का जो नया था जिसकी बिल्डिंग भी अच्छी थी। लेकिन वहां पर यह समस्या आयी कि वहां के लोग शिकायती बहुत हैं कहीं मुख्यमंत्री को घेरकर शिकायत ही न करने लगे। तब मझोले के बेसिक स्कूल को ही इसके लिए चयनित किया गया। अपनी तरफ से आदमी बुलाकर स्कूल के पीछे की सफाई करवाई। स्कूल के गेट पर एक चाय का खोखा रखा था वह बहुत बड़ी समस्या था। गेट के सामने ही नाला था जिसमे गंदगी का अम्बार था। स्कूल के सामने और नाले के बीच की सड़क बिल्कुल टूटी फूटी थी। इस पर नगर आयुक्त को बात की गयी। नगर आयुक्त तुरन्त मौके पर आये और उन्हें बताया कि मुख्यमंत्री को यह स्कूल दिखाया जाना है। उन्होनें वहीं कुर्सी डाल ली और डेरा जमा लिया और नगर निगम में फोन कर ऐसे जूनियर इंजीनिसर की मांग की कि जो आपातकाल स्थिति में कार्य करवा सके। जेई भी आ गया जेसीबी मशीन भी आ गयी। पहले तो जेसीबी मशीन से खोखे को हटाया गया। उसके बाद नाले का सफाई अभियान चला। नाले के साईड खुली हुई थी जहां से कोई भी बच्चा या व्यक्ति गिर सकता था। इसलिए फटाफट वहां पर दीवार खड़ी करवाई गई और इतना ही नहीं उसकी पुताई भी करवाई गई और साथ ही स्कूल के गेट और नाले के बीच की जो सड़क थी वहां पर टाइल्स लगवा दी गईं। यह कार्य नगर आयुक्त ने अपनी देखरेख में स्वयं करवाया क्योेंकि मुख्यमंत्री उस स्कूल को देखने आ सकते थे।
इस बीच वहां महानगर के तथाकथित बड़े कहे जाने वाले समाचार पत्र का प्रेस फोटोग्राफर पहुंच गया और उसने फोटो खींचनी चालू कर दी। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी उससे मना करते रहे कि भईया फोटो मत खीचो तो प्रेस फोटोग्राफर का जवाब था कि फोटो तो खीच लेने तो और जैसे आप चाहोगे वैसा हो जाये और नतीजा यह हुआ कि उस फोटोग्राफर ने जो फोटो खीचे थे वह समाचार पत्र में कहीं नहीं छपे।
हुकूमत एक्सप्रेस को सूत्रों से पता चला है कि स्कूल के प्रधानाचार्य की ओर से नगर निगम को इन सब कार्यों को करवाने के लिए अनेक पत्र नगर आयुक्त नगर निगम को भेजे गये थे लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई थी। लेकिन आज मुख्यमंत्री का आगमन हो सकता था इसलिए चंद घंटो में ही सबकुछ हो गया। काश रोज मुख्यमंत्री इसी प्रकार आते रहें।

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