उत्तराखण्ड में जैविक खेती के व्यवसायीकरण की भी अपार संभावनाएं

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देहरादून 22 दिसम्बर, 2017(सू.ब्यूरो)-मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शुक्रवार को डोईवाला स्थित ग्राम खाती में सीएसआईआर-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान द्वारा विकसित उन्नत गुड़ भट्टी का उद्घाटन किया। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि प्रदेश में जैविक उत्पादों को बढ़ावा देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जैविक उत्पाद आधारित खाद्य पदार्थों की मांग तेजी से बढ़ रही है।
उत्तराखण्ड में जैविक खेती के व्यवसायीकरण की भी अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने 25 दिन में खाद्य तैयार करने की विधि भी किसानों को बताई। उन्होंने कहा कि आईआईपी द्वारा विकसित इस आधुनिक गुड़ भट्टी से प्रदूषण भी कम होगा। भट्टी से जो गुड़ बनाया जा रहा। इसमें प्रयुक्त होने वाले गन्ने के उत्पादन में भी जैविक खेती का प्रयोग किया गया है।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि 25 दिसम्बर को पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म दिवस के अवसर पर सूर्यधार बांध का शिलान्यास किया जायेगा। लगभग 60 करोड़ रूपये की लागत से बनने वाले इस बांध से डोईवाला और उसके आसपास के क्षेत्रों में पूर्ण ग्रेविटी का पेयजल उपलब्ध होगा, जबकि लगभग 900 करोड़ रूपये की लागत से बनने वाले सौंग बांध से देहरादून में पूर्ण ग्रेविटी का पेयजल उपलब्ध होगा। इससे भू-जल स्तर में आ रही गिरावट को कम करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि अगले वर्ष सोंग नदी पर बांध बनाने की शुरूवात हो जायेगी। उन्होंने कहा कि सरकार की योजना है कि देहरादून से ऋषिकेश तक लोगों को पूरी ग्रेविटी का पेयजल उपलब्ध हो सके। लोगों को ट्यूबबेल के पानी पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। पानी के लिए लोगों को बिजली पर निर्भर भी नहीं रहना पड़ेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि अकेले ट्यूबबेलों की विद्युत खपत पर ही वर्तमान में 221 करोड़ रूपये का व्यय भार आ रहा है जिसमें से लगभग 65 करोड़ रूपये अकेले देहरादून के ट्यबबेलों का है। ग्रेविटी आधारित पेयजल की आपूर्ति से विद्युत पर होने वाला व्यय भार भी बचेगा। उन्होंने कहा कि 14 जनवरी 2018 से देहरादून में सेन्ट्रल इंस्टीट्यूट आॅफ प्लास्टिक इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नालाॅजी(सीपैट) की कक्षाएं भी शुरू कर दी जायेंगी। शीघ्र ही प्रदेश में नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ फैशन टेक्नालाॅजी(निफ्ट) की भी शुरूवात की जायेगी। जिसके लिए रानीपोखरी में भूमि उपलब्ध करायी जा चुकी है।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि चीड़ की पत्तियों से तारपीन के तेल निकालने एवं उसके कचरे से बाॅयोफ्यूल तैयार करने के लिए आईआईपी से उत्तराखण्ड सरकार का एमओयू हुआ है। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि यह वेस्ट को बेस्ट में परिवर्तित करने का एक प्रयास है। इससे गर्मियों में पिरूल के जंगलों में वनाग्नि से बचाव होगा। जंगल एवं जीव जन्तुओं का भी संरक्षण होगा। इससे जहां सरकार को राजस्व प्राप्त होगा, वहीं स्थानीय लोगों को बेहतर रोजगार भी मिलेगा। राज्य के आठ पहाड़ी जिलों अल्मोड़ा, चमोली, नैनीताल, पौड़ी, रूद्रप्रयाग, पिथौरागढ़, टिहरी एवं उत्तरकाशी में पिरूल के कलेक्शन सेंटर स्थापित किये जायेंगे। पिरूल एकत्रित करने वालों को इंसेटिव भी दिया जायेगा। इसके लिए आधुनिक तकनीकि का इस्तेमाल किया जायेगा। तारपिन आॅयल एवं बाॅयोफ्यूल का औद्योगिक क्षेत्र में भी प्रयोग किया जा सकेगा।
इस अवसर पर आईआईपी के निदेशक डाॅ.अंजन रे, आईआईपी के वैज्ञानिक श्री अमर कुमार जैन, आईआईपी के वैज्ञानिक श्री पंकज आर्य, श्री ईश्वर पाल, श्री मुकुल तोमर आदि उपस्थित थे।

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