साकीनाका दुष्कर्म-हत्या मामले में दोषी को मौत की सजा, कोर्ट ने कहा- नरमी से काम नहीं चलेगा
अभियोजन पक्ष की ओर से पेश हुए वकील महेश मुले ने सजा पर सुनवाई के दौरान दलील दी थी कि यह एक महिला के खिलाफ अपराध है और वह भी अनुसूचित जाति की महिला के खिलाफ जो इसे और गंभीर बनाता है।
मुंबई के साकीनाका में पिछले साल 34 वर्षीय महिला की दुष्कर्म के बाद हत्या के दोषी को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। दोषी मोहन चौहान (45) यूपी के जौनपुर का रहने वाला है। दिंडोशी कोर्ट ने 9 महीने में मामले की सुनवाई पूरी उसे सजा सुनाई।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एच सी शेंडे ने 30 मई को धारा 302(हत्या), 376 (दुष्कर्म) व जाति उत्पीड़न कानून के विभिन्न प्रावधानों के तहत मोहित चौहान को दोषी ठहराया था। बुधवार को उसकी सजा पर सुनवाई हुई। अभियोजन पक्ष के वकील महेश मुले ने चौहान को फांसी की सजा की मांग करते हुए दलील दी कि उसने काफी जघन्य अपराध किया है और उसका अपराध विरलतम मामले की श्रेणी में आता है।
दलीलों के मद्देनजर न्यायाधीश ने मोहन चौहान को फांसी की सजा सुनाई है। चौहान के पास सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में चुनौती देने का विकल्प है। जबकि राज्य सरकार को सुनाई गई सजा को पुष्ट करने के लिए हाईकोर्ट में अपील करनी होगी। क्योंकि सत्र न्यायालय की ओर से आरोपी को दी जानेवाली फांसी की सजा हाईकोर्ट की पुष्टि के आधीन होती है।
पुलिस ने 18 दिनों में दाखिल किया था आरोपपत्र
साकीनाका के खैरानी रोड इलाके में 10 सितंबर 2021 की रात पीड़िता की दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी। इसके बाद पुलिस ने पीड़िता को मुंबई के राजावाड़ी अस्पताल में भर्ती कराया था। जहां उसकी मौत हो गई थी। पुलिस ने वारदात के कुछ घंटे बाद ही आरोपी चौहान को गिरफ्तार कर लिया था और फिर 18 दिन बाद 28 सितंबर को उसके खिलाफ कोर्ट में 345 पन्नों का आरोपपत्र दायर किया था। पुलिस ने 77 गवाहों के बयान दर्ज किए थे। इनमें उस सुरक्षागार्ड का बयान भी शामिल है, जिसने महिला को घायल हालत में देखकर पुलिस को सूचना दी थी।
मुंबई रेप कांड को शिवसेना ने बताया था जौनपुर पैटर्न
शिवसेना सांसद संजय राउत ने इस हत्याकांड को ‘जौनपुर पैटर्न’ नाम देकर मुंबई के उत्तर भारतीयों पर निशाना साधा था। राउत ने कहा था, इससे पता चलता है कि इन लोगों ने कितनी ‘गंदगी’ पैदा कर रखी है। इस पर भाजपा नेता कृपाशंकर सिंह ने कड़ी आपत्ति जताई थी। सिंह ने कहा था कि असल में देश के लिए कुर्बानी और एक गांव से 40 आईएएस अफसर बनाना है ‘जौनपुर पैटर्न’। इस अपराध के लिए आरोपी को फांसी दी जानी चाहिए लेकिन दरिंदे को किसी जाति, प्रांत व जिले से जोड़ना गलत है।