Exclusive: जल्द ही एनईआर में खत्म हो जाएंगी अंग्रेजी हुकूमत में बिछाई छोटी लाइनें

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पूर्वोत्तर रेलवे में जल्द ही अंग्रेजी हुकूमत के समय बिछाई गई छोटी लाइनें (मीटर गेज) देखने को नहीं मिलेंगी। सिर्फ चार रूटों पर 283 किमी. लंबाई में छोटी लाइनें बची हैं, जिसमें 170 किमी लंबी मैलानी-नानपार लाइन को पर्यटन क्षेत्र में शामिल किया गया है। यानी 97 फीसदी बड़ी लाइनें बिछ चुकी हैं। बाकी बची तीन रूटों पर दो सील के भीतर ही बड़ी लाइनें (ब्रॉड गेज) बिछ जाएंगी। पूर्वोत्तर रेलवे में कुल 3470.90 किमी रेलवे लाइन बिछी हुई हैं। बीते पांच वर्षों में यहां तेजी से आमान परिवर्तन पर ध्यान दिया गया है। इंदारा-दोहरीघाट, बहराइच-नानपारा-नेपालगंज रोड और शाहगढ़-पीलीभीत रेल खंड पर लाइनें अभी भी मीटर गेज की हैं। इसमें भी इंदारा-दोहरीघाट में तेजी से काम चल रहा है, वर्ष 2022 तक काम पूरा करने का लक्ष्य है। अन्य दो रूटों पर भी दो वर्षों में काम पूरा होने की संभावना है। पूर्वोत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल में मैलानी-नानपार रेल खंड की 170 किमी लंबी लाइन मीटर गेज की है। यह लाइन दुधवा नेशनल पार्क होकर जाती है। इसे पर्यटन के लिहाज से बेहद मुफीद माना गया है। गोरखपुर से मैलानी तक इस रूट पर एक ट्रेन चलाई जाती है, जिसमें पर्यटक कोच भी लगते हैं। पर्यटन के लिहाज से ही इस मीटर गेज लाइन को नहीं बदलने का निर्णय लिया गया है। रेल लाइनें मीटर गेज से ब्रॉडगेज में बदल दिए जाने के बाद ट्रेनें सरपट दौड़ेंगी। एक ओर जहां हाई स्पीड ट्रेनों के दौड़ने से यात्रियों को फायदा मिलेगा, वहीं मालगाड़ियों को रफ्तार मिलने से रेलवे का मुनाफा होगा। मीटर गेज अंग्रेजों के समय की बिछाई गई रेल लाइनें हैं। जब, भाप के इंजन से ट्रेनें चलती थी। मीटर गेज में दो पटरियों के बीच की दूरी एक मीटर है, जबकि ब्रॉड गेज में पटरियों के बीच की दूरी 1.676 मीटर है। मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पूर्वोत्तर रेलवे पंकज कुमार सिंह ने कहा कि कभी छोटी लाइन के नाम से मशहूर पूर्वोत्तर रेलवे में 90 प्रतिशत से ज्यादा नेटवर्क बड़ी लाइन में परिवर्तित हो चुका है। शेष लाइनों के आमान परिवर्तन का कार्य प्रगति पर है। 87 प्रतिशत से ज्यादा नेटवर्क विद्युतीकृत हो चुका है। अनेक विश्वस्तरीय सुविधाएं युक्त स्टेशनों के साथ, विश्व के सबसे लंबे प्लेटफॉर्म होने का गौरव भी पूर्वोत्तर रेलवे को प्राप्त है।

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