एटा के जलेसर में हनुमान जी का अनूठा मंदिर है, यहां स्थापित मूर्ति पर पसीना आता है। जिंदा इंसान की तरह नसें भी चमकती हैं। इसलिए श्रद्धालु इन्हें पसीने वाले और नस वाले हनुमान जी के नाम से पुकारते हैं। इसी तरह पसीना वाले हनुमान जी का प्राचीन मंदिर फिरोजाबाद के लाइनपार क्षेत्र में है। यह मंदिर भी भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। कहा जाता है कि मंदिर में स्थापित हनुमान जी का प्रतिमा से हर समय पसीना निकलता है।
कस्बा जलेसर के महावीरगंज में हनुमान जी का प्राचीन मंदिर। महंत पवन तिवारी ने बताया कि यह मंदिर करीब पांच सौ साल पुराना है। पहले यहां बांकेबिहारी जी का मंदिर था। उसके बाद यहां राम जी के परम भक्त हनुमान जी की प्रतिमा की स्थापना अवागढ़ रियासत के 27वें राजा बलवंत सिंह के पितामह राजा पृथ्वी सिंह ने कराई। बताते हैं कि राजा पृथ्वी सिंह अपनी रियासत करौली घूमने गए थे। मान्यता है कि वहां उन्हें सपने में हनुमान जी के दर्शन हुए।
खोदाई में निकली थी हनुमान जी की प्रतिमा
उनके बताए स्थान पर राजा ने खोदाई कराई तो हनुमान जी की प्रतिमा निकली। राजा पृथ्वी सिंह प्रतिमा को ऊंटगाड़ी में रखकर अवागढ़ ले जा रहे थे, जलेसर में अचानक ऊंटगाड़ी रुक गई। फिर कई ऊंट, घोड़े, हाथी लगाकर भी गाड़ी नहीं खींची जा सकी। राजा नेनिकट के ही प्राचीन हनुमान मंदिर में रात्रि विश्राम किया। मंदिर के महंत बाबा ब्रजवासी दास सन्यासी को हनुमान जी ने सपने में मंदिर में ही प्रतिमा स्थापित करने का आदेश दिया।
सुबह बाबा सन्यासी ने सपने की बात राजा को बताई। उनकी सहमति के बाद प्रतिमा मंदिर में स्थापित कर दी गई। प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। महंत ने बताया कि इस मंदिर में लोगों की अगाध आस्था है। अपने संकटों से उबरने के लिए भक्त हनुमानजी के दरबार में अर्जी लगाने पहुंचते हैं। महंत ने बताया कि पहले इस जगह का नाम खलीलगंज था। प्रतिमा की स्थापना के बाद मोहल्ले को महावीरगंज के नाम से जाना जाता है।