लखनऊ. राज्य विद्युत नियामक आयोग जल्द ही 2022-23 के लिए नई बिजली दरें तय करने की प्रक्रिया शुरू करेगा। पावर कॉर्पोरेशन ने वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) प्रस्ताव की कमियों पर सोमवार को आयोग में अपना जवाब दाखिल कर दिया। लेकिन जवाब के साथ आयोग को टैरिफ प्रस्ताव नहीं सौंपा गया है। यानी एआरआर में दिखाए गए 6700 करोड़ रुपये की घाटे की भरपाई का मामला बिजली कंपनियों ने आयोग पर छोड़ दिया है। इससे कंपनियों के घाटे को देखते हुए इस साल बिजली दरों में इजाफे की संभावना से इनकार नहीं किया जा रहा है।
दरअसल, 8 मार्च को बिजली कंपनियों की तरफ से दाखिल 2022-23 के एआरआर, 2020-21 की ट्रू-अप याचिका तथा 2021-22 के एनुअल परफार्मेंस रिव्यू (एपीआर) के परीक्षण की कमियों पर आयोग ने पावर कॉर्पोरेशन से जवाब मांगा था। साथ ही घाटे को शून्य करते हुए बिना सब्सिडी के अलग-अलग श्रेणी की स्लैबवार बिजली दर का प्रस्ताव भी दाखिल करने के निर्देश दिए थे।
पावर कॉर्पोरेशन ने आयोग में एआरआर की कमियों पर तो जवाब दाखिल कर दिया, लेकिन टैरिफ प्रस्ताव नहीं सौंपा। बिजली दरों में कमी की विचाराधीन याचिका पर भी पावर कॉर्पोरेशन ने कोई जवाब नहीं दिया है। आयोग अब इसका परीक्षण करके एआरआर स्वीकार करने का फैसला करेगा। कानूनन एआरआर स्वीकार होने के 120 दिन में नई दरों के निर्धारण की प्रक्रिया पूरी की जानी है।
विभागीय कर्मियों के यहां मीटर लगाने के लिए मांगी मोहलत
बिजली कंपनियों की ओर से दाखिल जवाब में कहा गया है कि प्रदेश में नियमित कार्मिकों की संख्या 34858 और 49036 पेंशनर हैं। इस तरह रियायती बिजली का इस्तेमाल कर रहे कुल 83894 कर्मचारियों व अभियंताओं के यहां अभी मीटर नहीं लग पाए हैं।
– बिजली कंपनियों ने इनके यहां मीटर लगाने के लिए मार्च 2023 तक का समय मांगा है। टैरिफ ऑर्डर में आयोग इस पर अपना निर्णय सुनाएगा।
– पावर कॉर्पोरेशन ने इस साल 17 प्रतिशत वितरण लाइन हानियों का आकलन करते हुए 85,500 करोड़ रुपये का एआरआर दाखिल किया है। इसमें 6700 करोड़ रुपये घाटे का अनुमान लगाया गया है।
दरों में कमी के लिए सक्रिय हुआ उपभोक्ता परिषद
बिजली कंपनियों का जवाब दाखिल होते ही राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद भी बिजली दरों में कमी कराने के लिए सक्रिय हो गया है। परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने नियामक आयोग के अध्यक्ष आरपी. सिंह तथा सदस्य कौशल किशोर शर्मा व वीके श्रीवास्तव से मिलकर लोक महत्व प्रस्ताव सौंपते हुए कहा कि जब बिजली कंपनियों ने टैरिफ प्रस्ताव दाखिल नहीं किया तो कंपनियों पर उपभोक्ताओं के निकल रहे 20596 करोड़ रुपये के एवज में दरों में कमी के लिए स्वत: संज्ञान कार्रवाई शुरू की जाए।
उनका कहना है कि जब बिजली दरों में कमी की बात आती है तो पावर कॉर्पोरेशन हाथ खडे़ करके पूरा मामला नियामक आयोग पर डाल देता है। ऐसे में नियामक आयोग को जिम्मेदारी निभाते हुए इस शर्त के साथ एआरआर स्वीकार करना चाहिए कि बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं के निकल रहे 20596 करोड़ रुपये का विज्ञापन प्रकाशित कराकर उस पर आम उपभोक्ताओं से राय ली जाए।
कंपनियों को पता है कि कानूनन जब उपभोक्ताओं का पैसा निकल रहा है तो दरें बढ़ाने का प्रस्ताव दाखिल नहीं किया जा सकता। मामले को उलझाने के लिए इस मामले पर चुप्पी साधकर गेंद आयोग के पाले में डाल दी गई है।