सदस्यों की खरीद फरोख्त पर तत्काल प्राथमिकी दर्ज करे निर्वाचन आयोग: हाईकोर्ट

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नैनीताल। हाई कोर्ट ने ब्लॉक प्रमुख व जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव स्वतंत्र, निष्पक्ष व पारदर्शी तरीके से संपन्न कराने के राज्य निर्वाचन आयोग को 32 दिशा-निर्देश जारी किए हैं। यह दिशा-निर्देश देहरादून निवास विपुल जैन की जनहित याचिका पर दिए फैसले में दिए गए हैं। सुनवाई के दौरान पक्षकारों द्वारा न्यायालय के समक्ष सुप्रीम कोर्ट व अन्य अदालतों के 92 निर्णय पेश किए। याचिका में ब्लॉक प्रमुख व जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में सदस्यों की बड़े पैमाने पर खरीद फरोख्त होने का उल्लेख किया था और इस पर अंकुश के लिए आयोग को दिशा-निर्देश देने व इन पदों पर चुनाव सीधे जनता से कराने की मांग की गई थी। पिछले दिनों कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था। गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ द्वारा फैसला सुनाया गया।
राज्य की सर्वोच्च अदालत ने इस मामले में राज्य निर्वाचन आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा है कि यदि कोई संवैधानिक संस्था कर्तव्यों का निवर्हन सही तरीके से नहीं करती है तो हाई कोर्ट को आयोग को दिशा-निर्देश जारी करने का अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि निर्वाचित सदस्यों को हाइजैक नहीं किया जा सकता। यह आदेश इस पर रोक लगाता है। राज्य निर्वाचन आयोग की गाइड लाइन को 17 साल पुरानी बताते हुए इसमें बदलाव की जरूरत बताई है। साथ ही आयोग को आदेश दिया है कि इन चुनावों में भ्रष्टड्ढाचार की मीडिया या किसी अन्य माध्यम से शिकायत मिलती है तो इसके लिए एक शिकायत प्रकोष्ठ का गठन करें और शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज करें। किसी प्रत्याशी के खिलाफ भ्रष्टड्ढाचार की शिकायत मिली तो तत्काल चुनाव रोका भी जा सकता है। उसके नामांकन के साथ ही चुनाव लडने पर रोक लगाई जा सकती है।

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