श्रीराम की सेना ने की लंका पर चढ़ाई

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हुकूमत एक्सप्रेस
मुरादाबाद। गुरूवार को कांठ रोड सांई मंदिर रोड पर नेहरू युवा केन्द्र प्रांगण में रामलीला मंचन के पांचवे दिन रामेश्वरम स्थापना, अंगद-रावण संवाद, राम-रावण युद्ध की घोषणा और लक्ष्मण-शक्ति प्रसंग का मंचन किया गया।
श्री रामलीला समिति के तत्वाधान में आयोजित रामलीला मंचन में गुरूवार को दिखाया गया कि लंका दहन के उपरान्त हनुमान माता सीता से विदा लेकर वापस आते हैं और माता सीता की खबर श्रीराम को देते है। श्रीराम-लक्ष्मण, सुग्रीव, जामवंत, हनुमान, अंगद आदि बिना समय गवायें लंका की ओर कूच करते है। समुन्द्र तट पर पहुंचकर श्रीराम भगवान शंकर की आराधना करते हैं और समुन्द्र तट पर ही रामेश्वरम शिवलिंग स्थापित कर जलाभिषेक करते है। तत्पश्चात श्रीराम समुन्द्र देव से रास्ता देने की विनती करते हैं। परन्तु समुन्द्र देव नहीं सुनते है। विनय करते हुए तीन दिन बीत गये तब श्रीराम को क्रोध आया ‘‘विनय न मानत जलधि जड़ गये तीन दिन बीत बोले रामसकोप तब भय बिन होय न प्रीत’’ और श्रीराम ने समूचे समुन्द्र को ही सुखा देने के उद्वेश्य से अपने धनुष पर तीर चढ़ा लिया तभ समुन्द्र देव प्रकट हुए और क्षमा के साथ बताया कि आपकी सेना में नल और नील नाम के दो वानर हैं जिन्हें यह वरदान प्राप्त है कि वह कोई भी वस्तु चाहे वह पत्थर ही क्यूं न हो उसे अपने हाथों से पानी पर डालेंगे तो वह डूबेगा नहीं। श्रीराम ने नल नील की सहायता से समुन्द्र पर पुल बांध दिया। वानर सेना समुन्द्र के रास्ते लंका पहुंच गयी। अंगद को राम का दूत बनाकर भेजा गया। अंगद ने रावण से माता सीता को लौटाने को कहा अन्यथा युद्ध के लिए तैयार रहने की चेतावनी दी। यहां तक कहा कि अगर कोई अंगद का पैर जमीन से हिला देगा तो अभी वह अपनी पराजय स्वीकार कर लेंगे परन्तु रावण के दरबार में से कोई भी अंगद का पैर उठाना तो दूर हिला भी न सका। इस तरह रावण की हठ से युद्ध की घोषणा हो गई। दोनो सेनाओ में भयंकर युद्ध हुआ। इस युद्ध में लक्ष्मण और मेघनाद आमने सामने आ गये।
दोनो के बीच घमासान युद्ध चला। मगर मेघनाद के एक शक्ति बाण ने लक्ष्मण को मूर्छित कर दिया। हनुमान जी को सुषैन वै़द्य ने संजीवनी बूटी लाने को कहा। हनुमान जी को बूटी की पहचान नहीं थी इसलिए वह पूरा पर्वत ही उठा लाये। संजीवनी बूटी से लक्ष्मण जी ठीक हो गये।
गुरूवार को रामलीला मंचन देखने के लिए भारी संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ी। रामलीला समिति की ओर से राजीव गुप्ता, विनीत गुप्ता, डा0 विकास, उपदेश अग्रवाल, अरविन्द गुप्ता, हेमन्त चैधरी, निर्मेश भटनागर, प्रेमनाथ, प्रमोद रस्तोगी, उषा अग्रवाल, शिवांश गुप्ता, राजीव वर्मा, संजय धवन, अजय कट्टा, सुधांशू कौशिक, डा0 अशोक रस्तोगी, संतोष गुप्ता, गोरखनाथ, जे0के0 सक्सेना आदि ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।

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