साल के शुरुआती 9 महीनों में खराब मौसम ने कैसे ली 3200 से ज्यादा लोगों की जान? चौंकाने वाली है ये रिपोर्ट खराब मौसम के चलते भारत का मध्य प्रदेश राज्य सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। इसके बाद केरल और आंध्र प्रदेश और असम जैसे राज्य शामिल हैं। जहां खराब मौसम के चलते लोगों की मौतें हुईं हैं। देश में ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव साफ दिखाई दे रहा है। पिछले कुछ सालों से देश के कई हिस्सों में भीषण गर्मी, ठंड और बेमौसम बरसात कुछ ज्यादा ही हो रही है। देश में भीषण गर्मी, भारी बरसात और भूस्खलन को लेकर एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार, साल 2024 के पहले नौ महीनों में भीषण गर्मी और भारी बरसात की कई घटनाओं से 3,200 से ज्यादा लोगों की जान चली गई। 2. 3 लाख से ज्यादा घर नष्ट हो गए। ये चौंकाने वाली रिपोर्ट दिल्ली स्थित थिंक टैंक सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की है।
भारत ने साल 2024 के पहले नौ महीनों यानी 274 दिनों के 255 दिनों में बद से बदतर मौसम की घटनाओं का सामना किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भीषण गर्मी और भारी बरसात और भूस्खलन की घटनाओं ने 3,238 लोगों की जान ली है। खराब मौसम ने 3. 2 मिलियन हेक्टेयर (MHA) फसलों को प्रभावित किया है। भारी बारिश ने 2,35,862 घरों और इमारतों को नष्ट कर दिया और 9,457 पशुधन मारे गए।पिछले साल करीब 3000 लोगों की गई थी जान
इसकी तुलना में साल 2023 के पहले नौ महीनों में 273 दिनों में से 235 दिन खराब मौसम दर्ज किया गया था। इसमें 2,923 मौतें दर्ज की गई थीं। 1. 84 मिलियन हेक्टेयर फसलें प्रभावित हुईं थीं। एक साल पहले यानी साल 2023 में 80,293 घर क्षतिग्रस्त हुए थे। 92,519 पशु मारे गए थे।
पेश करने वाले विश्लेषकों ने बताया कि मध्य प्रदेश में साल 2024 के 9 महीनों में 176 दिन बेहद खराब मौसम रहा, जो देश में सबसे ज्यादा है। खराब मौसम के चलते केरल में सबसे ज्यादा 550 मौतें दर्ज की गईं। इसके बाद मध्य प्रदेश 353 और असम 256 लोगों की जान गई।
भारी बारिश के चलते आंध्र प्रदेश में सबसे ज्यादा घर क्षतिग्रस्त हुए। यहां यह संख्या 85,806 रही। महाराष्ट्र में 142 दिन खराब मौसम दर्ज किया गया। यहां देशभर में प्रभावित फसल क्षेत्र का 60 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा था। रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में 27 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में खराब मौसम के दिनों में वृद्धि देखी गई। इसमें कर्नाटक, केरल और उत्तर प्रदेश में ऐसी घटनाओं के 40 या उससे अधिक अतिरिक्त दिन देखने को मिले।
साल 2024 में कई जलवायु परिवर्तन रिकॉर्ड भी स्थापित हुए। जनवरी 1901 के बाद से भारत का नौवां सबसे सूखा महीना रहा। फरवरी में देश ने 123 सालों में अपना दूसरा सबसे अधिक न्यूनतम तापमान दर्ज किया। मई में रिकॉर्ड स्तर पर चौथा सबसे अधिक औसत तापमान दर्ज किया गया। जुलाई, अगस्त और सितंबर में 1901 के बाद से सभी ने अपने उच्चतम न्यूनतम तापमान दर्ज किए।
देश के उत्तर-पश्चिम हिस्से में जनवरी दूसरा सबसे सूखा महीना रहा। जुलाई में इस क्षेत्र का दूसरा सबसे अधिक न्यूनतम तापमान दर्ज किया गया। दक्षिणी प्रायद्वीप में रिकॉर्ड पर सबसे गर्म फरवरी का अनुभव हुआ। इसके बाद मार्च और अप्रैल में असाधारण रूप से गर्मी और लू जैसे हालात थे। वहीं, जुलाई के महीने में 36.5 प्रतिशत अधिक बारिश हुई। अगस्त में दूसरा सबसे अधिक न्यूनतम तापमान दर्ज किया गया।बाढ़ के चलते 1376 लोगों की गई जान
सीएसई की महानिदेशक सुनीता नारायण ने कहा कि रिकॉर्ड तोड़ आंकड़े जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को दर्शाते हैं। जहां जो घटनाएं पहले हर शताब्दी में एक बार होती थीं। वे अब हर पांच साल या उससे भी कम समय में हो रही हैं। रिपोर्ट के अनुसार, बाढ़ के कारण 1,376 लोगों की मौत हुई, जबकि बिजली और तूफान ने 1,021 लोगों की जान चली गई। हीटवेव से 210 लोगों की मौत हो गई।