‘बुलडोजर से न्याय नहीं, न्याय का कत्ल होता है’, मौलाना महमूद असद मदनी का बड़ा बयान

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‘बुलडोजर से न्याय नहीं, न्याय का कत्ल होता है’, मौलाना महमूद असद मदनी का बड़ा बयान
बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी बात कही है। इसे लेकर जमीअत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने भी बड़ी बात कही है। उन्होंने कहा कि बुलडोजर से न्याय नहीं, न्याय का कत्ल होता है।
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को इस मामले में हुई सुनवाई पर टिप्पणी करते हुए इस मामले के महत्वपूर्ण पक्षकार अध्यक्ष जमीअत उलेमा-ए-हिंद मौलाना महमूद असद मदनी ने कहा कि बुलडोजर से न्याय नहीं, बल्कि न्याय का कत्ल होता है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से बुलडोजर की कार्रवाई की जाती है उससे एक पूरे समुदाय को सजा दी जाती है, किसी आरोपी का घर गिरने से केवल उसे नहीं बल्कि पूरे परिवार को नुकसान उठाना पड़ता है।
मौलाना मदनी ने कहा कि आप महिलाओं के संरक्षण की बात करते हैं, आपने कुछ वर्षों में डेढ़ लाख मकानों को गिरा दिया, इनका सबसे अधिक नुकसान महिलाओं, बच्चों और बूढ़ों को होता है। जिन्होंने कुछ नहीं किया, उन्हें दर-दर भटकना पड़ता है, यह न्याय का कौन सा तरीका आपने स्थापित किया है? हमें उम्मीद है कि अदालत इस पर कठोर कदम उठाएगी।मौलाना मदनी ने कहा कि इससे न केवल मुसलमान बल्कि हर न्यायप्रिय तबका परेशान है। मौलाना मदनी ने कहा कि न्याय के के लिए जमीअत उलेमा-ए-हिंद हर संभव संघर्ष करेगी और बिल्कुल चुप नहीं बैठेगी। जमीअत उलेमा-ए-हिंद की याचिका संख्या 295/2022 पर सुनवाई करते हुए सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि त्वरित न्याय के लिए बुलडोजर प्रणाली नहीं चलेगी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने प्रारंभिक टिप्पणियों में कहा कि आरोपी तो दूर, किसी अपराधी के घर पर बुलडोजर चलाने का किसी को अधिकार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह अवैध निर्माणों का संरक्षण नहीं करेगी, लेकिन कुछ मार्गदर्शक सिद्धांतों का होना आवश्यक है।
जस्टिस बी आर गवई और के जस्टिस विश्वनाथन की बेंच ने विभिन्न राज्यों में ‘बुलडोजर कार्रवाइयों’ के खिलाफ दायर याचिकाओं की सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों को 13 सितंबर तक मसौदा प्रस्ताव प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है ताकि उन्हें अदालत के समक्ष पेश किया जा सके। ये प्रस्ताव वरिष्ठ वकील नचिकेता जोशी के पास एकत्र किए जाएंगे, जिन्हें उन्हें संकलित करके अदालत के समक्ष प्रस्तुत करने का कहा गया है। बेंच ने इस मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 17 सितंबर निर्धारित की है।
जमीअत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी और जमीअत की ओर से सोमवार को याचिकाकर्ता मौलाना नयाज अहमद फारूकी सचिव जमीअत उलेमा-ए-हिंद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे और एम आर शमशाद अदालत में पेश हुए, इस मामले में एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड फरुख रशीद हैं। यह मामला जमीअत उलेमा-ए-हिंद ने जहांगीरपुरी दिल्ली में बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ दायर किया था, जिसमें जमीअत को उस समय बड़ी सफलता मिली थी और बुलडोजर पर रोक लगाई गई थी, लेकिन देश में लगातार जारी बुलडोजर कार्रवाई पर जमीअत ने नेतृत्व करते हुए तीन प्रदेशों के खिलाफ विशेष याचिका दाखिल की है।