हुकूमत एक्सप्रेस
मुरादााबद। आएदिन सुर्खियों में रहने वाले फायरब्रांड सांसद और 5-5 विधायकों वाली सपा मुरादाबाद में अपनी जमानत तक जब्त होने से नहीं बचा सकी। वेस्ट यूपी में समाजवादी पार्टी के सबसे मजबूत गढ़ कहे जाने वाले मुरादाबाद में सपा के शेर ऐसे ढेर हो गए। मेयर पद के सपा प्रत्याशी हाजी रईस उद्दीन मुख्य फाइट तो छोड़िए चुनावी लड़ाई में कहीं आसपास भी खड़े नजर नहीं आए। हाजी रईसुद्दीन कुल पड़े 291143 मतों में से महज 13441 वोट ही मिले।
मुरादाबाद मंडल और खासकर मुरादाबाद जिले को यूपी में सपा के सबसे मजबूत गढ़ के तौर पर देखा जाता है। 2014 में मोदी की आंधी और 2019 में कही जाने वाली मोदी की सुनामी भी इस किले को ढहा नहीं सकी।
मुरादाबाद लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी का कब्जा है और जिले की कुल 6 विधानसभा सीटों में से 5 पर सपा काबिज है। मुरादाबाद नगर को छोड़ दें तो मुरादाबाद ग्रामीण, कुंदरकी, बिलारी, कांठ और ठाकुरद्वारा सीट पर सपा के विधायक हैं। बावजूद इसके नगर निगम चुनाव में सपा मुख्य मुकाबले में भी खड़ी नहीं हो सकी।
कांग्रेस ने बूथ लेवल पर अपना संगठन न होने के बावजूद नगर निगम चुनावों में भाजपा को कड़ी टक्कर दी है। कांग्रेस के मेयर प्रत्याशी हाजी रिजवान कुरैशी को 117826 वोट मिले हैं। जबकि बसपा प्रत्याशी मोहम्मद यामीन को 15845 मत मिले हैं। सपा प्रत्याशी हाजी रईसुद्दीन 13441 वोटों के साथ चौथे पायदान पर चले गए। चुनाव के नतीजों से साफ है कि सपा प्रत्याशी को पार्टी का परंपरागत वोट भी नहीं मिल सका।
मुरादाबाद में सपा के पास मंझे हुए नेताओं की लंबी लिस्ट है। संगठन से लेकर सरकार तक में यहां के सपा नेता रह चुके हैं। लेकिन सपा ने किसी मंझे हुए नेता को टिकट देने के बजाए एकदम नए चेहरे निर्यातक हाजी रईसुद्दीन को मैदान में उतारा। दावा किया गया कि रईसुद्दीन 2 दशक से भी अधिक वक्त से सपा से जुड़े हैं। लेकिन इन चुनावों के पहले सपा के मंचों या संगठन में उनकी सक्रियता कभी देखी नहीं गई। कमजोर प्रत्याशी उतारने के बाद सपा नेतृत्व ने मुरादाबाद सीट को लेकर कोई गरमजोशी नहीं दिखाई।
सपा मुखिया अखिलेश यादव कोई भी बड़ा सपा नेता यहां पार्टी प्रत्याशी के लिए वोट मांगने तक नहीं आया। इससे वोटरों को काफी हद तक ये संदेश गया कि सपा नेतृत्व इस सीट को लेकर गंभीर नहीं है। रही सही कसर मतदान से ऐन एक दिन पहले वायरल हुए सपा प्रदेश अध्यक्ष के नाम वाले उस लेटर ने पूरी कर दी, जिसमें कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन की बात कही गई थी।
हालांकि बाद में स्थानीय सपा नेताओं ने इस लेटर के वायरल होने पर इसे फर्जी बताया और थाने में एफआईआर भी दर्ज कराई। लेकिन तब तक पब्लिक में काफी हद तक संदेश जा चुका था। खुद पार्टी के सपोर्टर मान चुके थे कि उनका प्रत्याशी फाइट में नहीं है।
समाजवादी पार्टी ने मुरादाबाद सीट को गंभीरता से नहीं लिया। यहां गैरमुस्लिम प्रत्याशी उतारकर सपा बड़ा उलटफेर कर सकती थी। जितने मामूली अंतर से भाजपा के विनोद अग्रवाल ने जीत की हैट्रिक यहां बनाई है, उसे देखते हुए गैरमुस्लिम प्रत्याशी का कार्ड सपा को यहां बड़ी बढ़त दिला सकता था। बहरहाल अब हार के बाद सपा प्रत्याशी हाजी रईसुद्दीन हार का पूरा ठीकरा प्रशासन के सिर फोड़ रहे हैं।