उत्तराखंड में घर-घर ड्रोन से पहुंचेगी दवा, ऋषिकेश AIIMS बना देश का ऐसा पहला अस्पताल

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उत्तराखंड में घर-घर ड्रोन से पहुंचेगी दवा, ऋषिकेश AIIMS बना देश का ऐसा पहला अस्पताल
एम्स ऋषिकेश ने पहाड़ी इलाकों के दुर्गम क्षेत्रों में दवाई पहुंचाने के लिए नई तकनीक से सेवा देनी आज से शुरू कर दी है।
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आज ऋषिकेश एम्स से ड्रोन के जरिए जिला अस्पताल बौराडी में टीबी की दवाई पहुंची। एम्स ऋषिकेश ने पहाड़ी इलाकों के दुर्गम क्षेत्रों में दवाई पहुंचाने के लिए नई तकनीक से सेवा देनी आज से शुरू कर दी है। ड्रोन कंपनी के माध्यम से दवाइयां मरीजों तक पहुंचाए जाने की योजना आज से शुरू हो गई है। ड्रोन के जरिए तीन किलो की दवाई भेजी गई
एम्स की प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह और ड्रोन कंपनी के अधिकारियों ने पहली ड्रोन सेवा से तीन किलो भार की दवाई का पैकेट नई टिहरी के लिए रवाना किया। इसका शुभारंभ एम्स की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर मीनू सिंह और ड्रोन कंपनी के अधिकारी गौरव कुमार ने किया। लगभग तीन किलो की दवाई का पार्सल ड्रोन के जरिए नई टिहरी के लिए रवाना किया गया।
मीनू सिंह ने बताया कि पहले ही एम्स पहाड़ के दुर्गम इलाकों में दवाई भेजने के लिए सड़क मार्ग का इस्तेमाल कर रहा है, लेकिन कई बार सड़क मार्ग से दवाइयां पहुंचाने में समय बहुत लगता है। इसलिए ड्रोन के जरिए समय को बचाने के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल शुरू किया गया है। पहले ट्रायल के तौर पर ड्रोन को पहाड़ के अलग-अलग क्षेत्रों में भेजा गया। ट्रायल सफल होने के बाद आज पहली बार नई टिहरी में दवाइयां ड्रोन के माध्यम से भेजी गई हैं।
ड्रोन 80 किलोमीटर तक की उड़ान भर सकता है
मीनू सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपने को साकार करने की दिशा में एम्स ऋषिकेश लगातार नए-नए आयाम स्थापित कर रहा है। राज्य के किसी भी कोने में आसानी से दवाइयां पहुंचाई जा सकें, इसके प्रयास लगातार जारी हैं। ड्रोन टेक्निकल टीम के सदस्य गौरव कुमार ने बताया कि एक बार में ड्रोन 80 किलोमीटर तक की उड़ान भर सकता है। फिलहाल पहाड़ी इलाकों में मैक्सिमम 42 किलोमीटर की फ्लाइंग ड्रोन ने भरी है।
ये ड्रोन 3.5 किलो भार उठा सकता है और एक बार में 100 किलोमीटर तक की उड़ान भर सकता है। वहीं, ये ड्रोन पूरी तरह ऑटोमेटिक मोड़ पर चलता है और इसमें सिर्फ रूट मैप फीड करने की जरुरत होती है। इसके अलावा पक्षियों से बचाव के लिए भी ड्रोन में सेंसर लगे हुए हैं।

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