कांग्रेस का ‘हाथ से हाथ जोड़ो’ अभियान 26 जनवरी से, फरवरी में रायपुर में होगा 85वां अधिवेशन

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कांग्रेस का ‘हाथ से हाथ जोड़ो’ अभियान 26 जनवरी से, फरवरी में रायपुर में होगा 85वां अधिवेशन
कांग्रेस की संचालन समिति ने बैठक में गंभीर आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक चुनौतियों पर चिंता व्यक्त की, जिनका भारत लगातार सामना कर रहा है।
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26 जनवरी से शुरू होगा कांग्रेस का ‘हाथ से हाथ जोड़ो’ अभियान।
कांग्रेस पार्टी की संचालन समिति की बैठक रविवार को दिल्ली में आयोजित की गई। मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में तय किया गया कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की सफलता को देखते हुए अब 26 जनवरी से कांग्रेस एक नया अभियान ‘हाथ से हाथ जोड़ो’ भी शुरू करेगी। कांग्रेस का 85वां राष्ट्रीय अधिवेशन तीन दिनों के लिए अगले साल फरवरी के दूसरे पखवाड़े में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आयोजित किया जाएगा। कांग्रेस की संचालन समिति ने बैठक में गंभीर आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक चुनौतियों पर चिंता व्यक्त की, जिनका भारत लगातार सामना कर रहा है। कांग्रेस पार्टी के बयान में कहा गया है कि करोड़ों लोग बढ़ती कीमतों और रिकॉर्ड बेरोजगारी से जूझ रहे हैं। हर गुजरते साल के साथ आर्थिक विकास में गिरावट जारी है। वहीं संवैधानिक संस्थाओं का जानबूझकर विध्वंस और उन पर हमला जारी है।
प्रधानमंत्री इनकार करना, ध्यान भटकाना और विभाजित करना जारी रखे हुए हैं
समिति ने कहा कि कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच टकराव पैदा करने के लिए पूर्व-चिंतित प्रयास विशेष रूप से खतरनाक है। बयान में ये भी कहा गया कि सरकार सीमा पर चीनी घुसपैठ और एलएसी पर यथास्थिति में बदलाव पर अपनी चुप्पी साधे हुए है। यहां तक कि विश्वसनीय रिपोर्ट चीनी सैनिकों और हथियारों की बढ़ती तैनाती का संकेत दे रही है। समिति ने यह भी कहा कि इतनी चुनौतियों के बाद भी प्रधानमंत्री इनकार करना, ध्यान भटकाना और विभाजित करना जारी रखे हुए हैं। गुजरात और हिमाचल प्रदेश में हाल के चुनाव अभियानों के दौरान उनकी भड़काऊ बयानबाजी ने ऐसे समय में राजनीति और समाज को और अधिक ध्रुवीकृत कर दिया है, ऐसे वक्त में जब देश में गंभीर चर्चा और बहस की जरूरत है।
राहुल गांधी और भारत जोड़ों यात्रा की सराहना
समिति ने राहुल गांधी और उनकी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की सराहना भी की है। बयान में कहा गया कि यात्रा हर दिन समाज के सभी वर्गो के लोगों, विशेषकर युवाओं महिलाओं, किसानों और श्रमिक वर्ग के लोगों को सुनती और उनसे बात करती है, सीधे समानता, बंधुत्व और सद्भाव के अपने संदेश का संचार करती है। यह वही संदेश है, जिसका भारत के आध्यात्मिक नेताओं और समाज सुधारकों ने प्रचार किया।

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